समाचार विश्लेषण/समझणिए की मर कि नासमझणिए कि अड़...?
-कमलेश भारतीय
रोहतक के सांसद अरविंद शर्मा के पिता की सत्रहवीं पर पहुंचे मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को किसानों के कोप का सामना करना पड़ा और निर्धारित हैलोपेड पर न उतर कर पुलिस लाइन में उतरना पड़ा । पुलिस ने लाठीचाॅर्ज किया जिसमें एक बुजुर्ग किसान घायल हो गया जिसकी फोटो बड़ी तेज़ी से वायरल हुई । इसके विरोध में जगह जगह किसानों ने प्रदर्शन किये ।
हेलिकॉप्टर की लैंडिंग का किसानों ने विरोध किया जैसे हिसार में दो दिन पहले उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला की लैंडिंग का विरोध हुआ और उन्हें भी हकृवि के आर्जी हेलीपैड का सहारा लेना पड़ा था । अब मुख्यमंत्री ने गोहाना जाकर पूर्व विधायक किताब सिंह को शोक व्यक्त करने का कार्यक्रम रद्द कर दिया है । यह कहते हुए कि जैसे दादा लखमी कह गये हैं कि
नुगरा माणस नजर फेर जा ,
समझणिए की मर हो रही सै ।
अब बात यहां तक आ पहुंची । यानी आप बहुमत में होते हुए भी अपनी जनता के बीच नहीं जा सकते । किसान आंदोलन के चलते इतना विरोध सहन करना पड़ रहा है । पहले उचाना में और करनाल में किसानों ने मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के हेलीपैड ही खोद डाले थे । इस तरह जनता के बीच जाना मुश्किल संघर्ष जैसा हो गया यानी बहुत बड़ी महाभारत । ऊपर से मुख्यमंत्री कह रहे हैं कि समझणिए की मर । अरे , यह क्यों नहीं सोचते कि नासमझणिए की अड़ हो रही सै । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर और आप एक ही तो रट लगाये हो कि कृषि कानून रद्द नहीं होंगे । यह आपके राजहठ की वजह से ऐसी नौबत आई । आपने अविश्वास प्रस्ताव तो जीत लिया लेकिन जनता का विश्वास खो दिया । जनता का दिल नहीं जीता बल्कि यूपी की तरह सम्पत्ति को नष्ट करने पर कानून बना दिया । क्या लोकतंत्र में विरोध- प्रदर्शन भी बंद हो जायें? ऐसा लोकतंत्र तो नहीं हो सकता । यह तो तानाशाही ही हो सकती है । क्या ओमप्रकाश धनखड़ ने अर्द्धनग्न प्रदर्शन नहीं किया था किसानों के लिए ? तब लोकतंत्र न बचता तो कैसे प्रदर्शन होता? अब कहते हो कि स्वामीनाथन रिपोर्ट लागू नहीं हो सकती । विपक्ष में कुछ भी जायज हे सत्ता में सब कड़वा ? सत्ता में बरोदा में उप चुनाव जीतने के लिए वालों का अम्बार और बार के बाद सब भूल गये कि क्या करना था ? यह सब कैसा लोकतंत्र? सब जीतने की कोशिश लेकिन किसान का दिल जीतना भूल गये । पश्चिमी बंगाल तक जीतने के दावे और ईवीएम मशीन भाजपा के प्रत्याशी की गाड़ी में ।
मैं तो प्रत्याशी की गाड़ी मे सवार सो के चली रे । मैं तक पिया के द्वार चली रे ...
समझणिए की अड़ बहुत महंगी पड़ रही है मुख्यमंत्री जी ।