बजट में निर्यात के लिए मध्यम से दीर्घकालिक आधार पर रोडमैप तैयार करने का प्रावधान: शरद कुमार सराफ, अध्यक्ष, फियो
एक जिला एक उत्पाद निर्यात के लिए गेम चेंजर साबित हो सकता है
केंद्रीय बजट पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए फियो के अध्यक्ष श्री शरद कुमार सराफ ने कहा कि केंद्रीय बजट में 16 एक्शन प्वाइंट्स के माध्यम से कृषि, बागवानी और मछली पालन में संरचनात्मक परिवर्तन का प्रयास किया गया है। इससे किसानों की आय दोगुना करने के साथ भारत को कृषि और संबद्धित क्षेत्रों में प्रमुख रूप से दीर्घकालिक आधार पर निर्यात के अवसर मिलेंगे।
उन्होंने कहा कि मानकों और गुणवत्ता पर ध्यान केंद्रित करने से भारत से गुणवत्ता वाले उत्पादों के निर्यात की सुविधा बढ़ेगी, जिससे बेहतर इकाई प्राप्ति और भारतीय निर्माताओं को तकनीकी मानक पूरा करने में मदद मिलेगी। इससे कई व्यापारिक भागीदारों की तरफ से जो बाधाएं आती हैं, उसे दूर करने में मदद मिलेगी वहीं, हल्की गुणवत्ता वाली वस्तुओं के आयात सीमित होंगे जिससे घरेलू उद्योग की रक्षा होगी।
फियो प्रमुख ने कहा कि एक जिला एक उत्पाद निर्यात के लिए गेम चेंजर साबित हो सकता है। उन्होंने कहा कि बजट प्रवाधान से भारत में निर्यात संस्कृति विकसित करने के अलावा जिला स्तर पर ध्यान केंद्रित करके महत्वपूर्ण निर्यात को लक्षित किया जा सकता है। कारीगरों और शिल्पकारों के उत्थान के लिए इस तरह की रणनीति बेहद मददगार साबित होगी। हालांकि, इस योजना को संयुक्त राज्य अमेरिका और जर्मनी की तर्ज पर "जिला निर्यात परिषद" बनाकर पूरक किया जाना चाहिए, ताकि जिलों को निर्यात में जीवंत और सक्रिय भागीदार बनाया जा सके। इस योजना के सफल होने के लिए जिला कलेक्टर की सक्रिय भागीदारी आवश्यक है।
मोबाइल, सेमी-कंडक्टर और इलेक्ट्रॉनिक उपकरण सहित इलेक्ट्रॉनिक क्षेत्रों के लिए नई योजना से देश से विशेष रूप से मोबाइल एवं इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात बढ़ाने का मार्ग प्रशस्त होगा। भारत में पहले से ही मोबाइल फोन के निर्यात में पर्याप्त घरेलू क्षमताओं का निर्माण हो रखा है जिसके परिणामस्वरूप दक्षिण पूर्व एशिया और अफ्रीकी देशों में पहले से ही फोन का निर्यात हो रहा है। इस क्षेत्र को और सहायता मिलने से, जिसे हाल ही में अतिरिक्त एमईआईएस की सहायता दी गई है, विकसित अर्थव्यवस्था वाले बाजार में प्रवेश करने में मदद मिलेगी।
श्री सराफ ने कहा कि निर्विक (NIRVIK) की योजना ऋण देने की प्रक्रिया को आसान बनाएगी और निर्यातकों को ऋण की उपलब्धता को बढ़ाएगी। इस योजना के तहत, गारंटी से अधिक बीमा अब मूल और ब्याज के 90 फीसदी तक पूर्व और पोस्ट शिपमेंट क्रेडिट पर मिलेगा। ईसीजीसी वर्तमान में बैंकों को केवल 60 फीसदी तक की गारंटी देता है। इससे कवरेज के लिए प्रीमियम भी कम हो जाएगा जिससे एमएसएमई निर्यातकों को लाभ होगा। बदले में निर्यातकों को ऋण की पहुंच और सामर्थ्य बढ़ने की उम्मीद है, इसके अलावा, कम प्रावधान की आवश्यकता और त्वरित निपटान की वजह से तरलता बढ़ने से निर्यात क्षेत्र को पर्याप्त कार्यशील पूंजी की उपलब्धता सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी। बढ़ती अनिश्चितताओं और मंदी की स्थिति को देखते हुए, यह योजना सबसे अधिक सामयिक है क्योंकि इस तरह के चुनौतीपूर्ण समय में क्रेडिट डिफॉल्ट बढ़ जाते हैं।
फियो अध्यक्ष ने कहा कि जीएसटी के तहत एकीकृत नहीं होने वाले बिजली शुल्क या अन्य उत्पादों और सेवाओं जैसे कि पेट्रोलियम उत्पाद और बिजली के लिए डिजिटल भुगतान करने की नई योजना से हमारे निर्यातों को और अधिक प्रतिस्पर्धात्मकता प्रदान करने में मदद मिलेगी। हालांकि इस योजना को अगले वित्तीय वर्ष के दौरान लागू किया जाएगा, वहीं बड़ी संख्या में उत्पादों की दरों के निर्धारण के लिए इस तरह की दरों को लागू करने के लिए संस्थागत तंत्र की आवश्यकता होगी। हालांकि, यह योजना विश्व व्यापार संगठन के “सब्सिडी और काउंटरवेस्टिंग माप (ASCM)” पर संगत होगी और इस प्रकार दीर्घकालिक आधार पर निर्यात को बनाए रखा जा सकता है।
नई लॉजिस्टिक नीति की प्रस्तावित घोषणा सहित बुनियादी ढाँचे को बेहतर बनाने के लिए की गई विभिन्न पहलें निर्यात में मदद करेंगी क्योंकि बुनियादी ढाँचे की आपूर्ति भारतीय निर्यात के आपूर्ति पक्ष को प्रभावित करेगी।
श्री सराफ को उम्मीद है कि वित्त मंत्री निर्यातकों के सामने आने वाले चुनौतीपूर्ण समय पर विचार करेंगी क्योंकि अमेरिका-चीन व्यापार युद्ध और अन्य भू-राजनीतिक मुद्दों के कारण विभिन्न अवसरों के बावजूद निर्यात में वृद्धि की कमी से देखा जा सकता है। प्रधान मंत्री ने निर्यात को आर्थिक विकास के एक महत्वपूर्ण घटक के रूप में स्वीकार किया है। श्री सराफ को उम्मीद है कि प्रत्यक्ष कर विवादों की तर्ज पर सीमा शुल्क के लिए विरासत विवाद योजना सहित बजट पर बहस के दौरान अनुपूरक बजटीय प्रावधानों में निर्यातकों को कुछ राहत मिल सकती है।