फिल्म, ड्रग्स और तस्करी
-कमलेश भारतीय
यह बात पहली बार सामने नहीं आई है कि फिल्म की आड़ में ड्रग्स की तस्करी का धंधा खूब फलफूल रहा है । इसी तरह की फिल्में भी बनती रही हैं और सबसे चर्चित फिल्म रही डान जो दो बार बनी । एक अमिताभ बच्चन को लीड में लेकर तो दूसरी शाहरुख़ खान को लीड रोल में लेकर । इस तरह फिल्में ड्रग्स या किसी भी तरह की तस्करी को इतना ग्लैमराइज कर प्रस्तुत करती हैं कि युवा तस्करी को ही अपने जीवन का ध्येय मानने लग जाते हैं । इसीलिए तो यह डायलॉग है कि मेरे पास बंगला है, गाड़ी और तुम्हारे पास क्या है? शशि कपूर का जवाब उससे भी ज्यादा लोकप्रिय हुआ कि मेरे पास मां है, भाई । यानी रिश्तों को तोड़कर ही इस काले धंधे में पांव रखे जाते हैं और सब कुछ पा लेने के बाद रिश्ते ही वापस नहीं मिलते !
आज दक्षिण से जुड़े फिल्म प्रोड्यूसर और द्रमुक नेता जफर सादिक अब्दुल रहमान को दो हज़ार करोड़ की ड्रग्स तस्करी के आरोप में गिरफ्तार किये जाने के समाचार से फिर फिल्म और ड्रग तस्करी का कनेक्शन खुलकर सामने आ गया है । इससे पहले सुशांत राजपूत की रहस्यमयी मृत्यु ने ड्रग्स के फैले ज़ाल को सामने रख दिया था और रिया चक्रवर्ती से लेकर इसके तार न जाने कितनी अभिनेत्रियों के साथ जोड़े गये थे । इनमें रकुल प्रीत, सारा अली खान आदि छुप छुप के पूछताछ में शामिल होती थीं । तब ऐसा माहौल बन गया जैसे सारी फिल्म इंडस्ट्री ड्रग्स में डूबी पड़ी है । वह दौर भी निकल गया । एक एक कर सब सुर्खरू हो गये और रकुल की तो शादी भी हो गयी । इस झमेले के बाद फिल्म इंडस्ट्री के बादशाह शाहरुख़ खान के बेटे आर्यन का मामला निकल आया और एक बार फिर इ़ंडस्ट्री बदनाम हुई । शाहरुख़ खान मुश्किल से बेटे को बचा कर लाये ।
अब यह नया मामला दक्षिण से है और है तो फिल्म इंडस्ट्री से जुड़ा ही ! यह इंडस्ट्री इतनी नीचे क्यों धंस गयी है?
कभी फिल्में सामाजिक बदलाव के संदेश देती थीं लेकिन अब सिर्फ और सिर्फ मनोरंजन ही इनका उद्देश्य रह गया। जिनके मन ऐसे कामों में फंसे हों, उनसे आप किसी सामाजिक परिवर्तन की उम्मीद कैसे कर सकते हैं?