पहले समाज और अब युवाओं के लिए दानवीर कर्ण बने मुख्यमंत्री मनोहर लाल
अपने माता-पिता की अंतिम निशानी बनियानी गांव का पैतृक मकान ई-लाइब्रेरी के लिए युवाओं को सौंपा।
रोहतक, गिरीश सैनी। दानवीर कर्ण की राह पर चलते हुए हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने एक बार फिर से अपनी पैतृक संपत्ति का दान किया है। मुख्यमंत्री के मीडिया कोऑर्डिनेटर राजकुमार कपूर ने बताया कि यह पहली बार नहीं है, इससे पहले भी मुख्यमंत्री समाज हित में ऐसा त्याग कर चुके हैं।
सोमवार को मुख्यमंत्री ने गांव में पहुंचकर जब अपने पैतृक मकान को गांव को सौंपने की घोषणा की तो प्रत्येक ग्रामीण चकित रह गया। गांव का दौरा करने के बाद उन्होंने कहा कि वे बच्चों की ई-लाइब्रेरी स्थापित करने के लिए बनियानी में अपना पैतृक घर गांव को सौंप देंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि मैं अपने गांव आया हूं। यह गांव मेरे लिए विशेष है, क्योंकि मैंने अपना पूरा बचपन यहीं बिताया है और अपनी स्कूली शिक्षा यहीं से प्राप्त की है। मैंने सोचा कि मेरा पुश्तैनी घर गांव के कुछ काम आना चाहिए। मेरे माता-पिता की निशानी एक मकान ही है, जो उन्होंने मेरे नाम किया था। मुझे लगा कि ये मकान मेरे गांव के काम आना चाहिए। इसलिए आज मैंने घोषणा की है कि मेरा मकान और साथ लगते मेरे चाचा के बेटे के मकान को मिलाकर लगभग 200 गज का मकान गांव को सुपुर्द कर दिया, ताकि गांव के लोगों के लिए, आगे आने वाली पीढ़ी के लिए, नौजवानों की पढ़ाई के लिए यहां ई-लाइब्रेरी की व्यवस्था हो जाएं। इसके साथ ही इस मकान का और जो भी उपयोग हो सकता है, एक कमेटी बनाकर वो कर सकेंगे। इसलिए आज इस घोषणा को करते हुए मुझे बहुत प्रसन्नता हो रही है।
सीएम के मीडिया कोऑर्डिनेटर राजकुमार कपूर ने बताया कि वर्ष 2010 में पैतृक संपत्ति के तौर पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल को 2.5 एकड़ कृषि जमीन और 200 गज का एक मकान ही मिला था। उन्होंने कभी इस जमीन को अपने लिए प्रयोग किए जाने का नहीं सोचा। वे हमेशा ही समाज के लिए सोचते रहे हैं। इसी का परिणाम रहा कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल जनहित में वर्ष 2019 में पंचनद स्मारक समिति को अपनी एक एकड़ पैतृक जमीन दान कर चुके हैं। अब यह दूसरा मौका है जब उन्होंने युवाओं के लिए ई-लाइब्रेरी बनाने के इरादे से 200 गज का पैतृक मकान समाज के नाम कर दिया है। इतना ही नहीं, अपने चाचा के बेटे के मकान को भी इसी ई-लाइब्रेरी के लिए दान कर दिया।