पांच दिवसीय ग्लोबल इनिशिएटिव ऑफ एकेडमिक नेटवर्क्स (ज्ञान) कार्यशाला संपन्न
हिसार, गिरीश सैनी। गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के बायो एंड नैनो टेक्नोलॉजी विभाग तथा फ्लोरिडा, संयुक्त राज्य अमेरिका के विदेशी संकाय द्वारा संयुक्त रूप से ‘बायो नैनो टेक्नोलॉजी फॉर पर्सनलाइज्ड हेल्थ मैनेजमैंट’ विषय पर आयोजित पांच दिवसीय ग्लोबल इनिशिएटिव ऑफ एकेडमिक नेटवर्क्स (ज्ञान) कार्यशाला शुक्रवार को संपन्न हुई। समापन समारोह में कुलसचिव प्रो. विनोद छोकर ने बतौर मुख्यातिथि शिरकत की। ‘ज्ञान’ कार्यशाला के पाठ्यक्रम समन्वयक प्रो. नीरज दिलबागी व प्रो. संदीप कुमार भी इस मौके पर मौजूद रहे। इस कार्यशाला में संकाय सदस्यों, वैज्ञानिकों व पीएचडी विद्यार्थियों सहित 36 प्रतिभागियों ने भाग लिया।
कुलसचिव प्रो. विनोद छोकर ने अपने संबोधन में कहा कि स्वास्थ्य प्रबंधन के क्षेत्र में बायो नैनो टेक्नोलॉजी की भूमिका लगातार बढ़ती जा रही है। बायो नैनो टेक्नोलॉजी वर्तमान समय में स्वास्थ्य चुनौतियों से निपटने में कारगर साबित हो सकती है। ‘ज्ञान’ का यह कार्यक्रम इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कड़ी साबित होगा। उन्होंने कहा कि ‘ज्ञान’ भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय की एक उत्कृष्ट पहल है, जो विदेशी संकाय सदस्यों को पढ़ाने और सहयोगात्मक अवसरों की जानकारी के लिए लघु अवधि के लिए भारतीय संस्थानों में आने की अनुमति देती है।
‘ज्ञान’ कार्यक्रम के दौरान ‘व्यक्तिगत स्वास्थ्य कल्याण प्रबंधन के उद्भव’ तथा ‘स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र के लिए हाल की प्रगति के साथ बायोमेडिकल नैनो टेक्नोलॉजी का परिचय’ विषय पर यूएसए के डॉ. अजीत कौशिक व नेशनल ऑटोनॉमस यूनिवर्सिटी ऑफ मैक्सिको, मैक्सिको के डॉ.अतीत दत्त ने प्रतिभागियों के साथ विचार विमर्श किया।
प्रो. जी.आर. चौधरी व डॉ. अजीत कौशिक ने निजीकृत स्वास्थ्य देखभाल के लिए स्मार्ट डायग्नोस्टिक्स नैनो सिस्टम पर विचार-विमर्श करते हुए प्रतिभागियों को अनुकूलित सेटअप के साथ अनुकूलित नैनोमेटेरियल्स के माध्यम से दूषित पदार्थों, वायरस व अन्य बीमारियों के प्रबंधन के बारे में जागरूक किया। हरियाणा, पंजाब व हिमाचल प्रदेश में स्थित उद्योगों की विभिन्न समस्याओं व संबंधित नैनो सिस्टम सक्षम समाधानों से संबंधित कार्य को भी प्रतिभागियों के साथ साझा किया गया। प्रतिभागियों को वैज्ञानिक लेखन, पोस्टर बनाने तथा पेटेंट की सामग्री तैयार करने के बारे में जागरूक किया गया।
पाठ्यक्रम समन्वयक प्रो. नीरज दिलबागी ने बताया कि ‘ज्ञान’ कार्यशाला में नैनोमेटेरियल के विभिन्न संश्लेषण मार्गों जैसे धातु, धातु ऑक्साइड नैनोमटेरियल, नैनोक्लूटर्स, क्वांटम डॉट्स, धातु कार्बनिक ढांचे, नैनोवायर के टेम्पलेट आधारित संश्लेषण, सह नैनोकणों के माइक्रोवेव सहायता प्राप्त संश्लेषण आदि का प्रदर्शन किया गया। प्रतिभागियों के प्रश्नों के उत्तर देने के लिए अलग-अलग इंटरैक्टिव सत्र भी आयोजित किए गए।