आगामी शैक्षणिक सत्र से एमडीयू में लागू होगी फार्मेटिव असेसमेंट प्रणाली

आगामी शैक्षणिक सत्र से एमडीयू में लागू होगी फार्मेटिव असेसमेंट प्रणाली

रोहतक, गिरीश सैनी। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप विद्यार्थियों के निरंतर मूल्यांकन द्वारा उनकी सीखने की प्रक्रिया को बेहतर बनाने के उद्देश्य से एमडीयू आगामी शैक्षणिक सत्र से यूजी व पीजी पाठ्यक्रमों (मेजर और माइनर के अलावा) में फार्मेटिव एसेसमेंट लागू करेगा। कुलपति प्रो. राजबीर की अध्यक्षता में आयोजित सेंटर फॉर करिकुलम डिजाइन एंड डेवलपमेंट की एडवाइजरी कमेटी की बैठक में यह निर्णय लिया गया।

 
कुलपति प्रो. राजबीर सिंह ने कहा कि फार्मेटिव एसेसमेंट प्रणाली विवि में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने और विद्यार्थियों की समग्र क्षमता को बढ़ाने में सहायक होगी। फार्मेटिव असेसमेंट  का उद्देश्य विद्यार्थियों की समझ और कौशल में सुधार करना है। उन्होंने कहा कि सेंटर फॉर करिकुलम डिजाइन एंड डेवलपमेंट फार्मेटिव असेसमेंट के लिए मेथड और टूल्स का चयन करेगा तथा एफडीसी इसके लिए शिक्षकों को तैयार करेगा।


सेंटर फॉर करिकुलम डिजाइन एंड डेवलपमेंट के निदेशक प्रो. ए. के. राजन ने बैठक का एजेंडा प्रस्तुत किया। उन्होंने फार्मेटिव एसेसमेंट के उद्देश्य एवं लाभ बारे प्रकाश डालते हुए कहा कि फार्मेटिव एसेसमेंट एक निरंतर मूल्यांकन प्रक्रिया है, जिसमें असाइनमेंट, प्रेजेंटेशन, क्विज, समूह चर्चा, सेमिनार और फील्ड वर्क समेत अन्य गतिविधियों के माध्यम से विद्यार्थियों के प्रदर्शन का मूल्यांकन किया जाता है। बैठक में आउटसाइड एक्सपर्ट प्रो. आर.सी. कुहाड़ तथा प्रो. प्रतिभा जोली ने भी फार्मेटिव एसेसमेंट के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए महत्वपूर्ण टिप्स दिए।

 
इस दौरान डीन, एकेडमिक अफेयर्स प्रो. ए.एस. मान, रजिस्ट्रार डा. कृष्णकांत, परीक्षा नियंत्रक प्रो. गुलशन लाल तनेजा, डीन पी एंड डी प्रो. एस.सी. मलिक, डीन स्टूडेंट वेलफेयर प्रो. रणदीप राणा, निदेशक आईक्यूएसी प्रो. बी. नरसिम्हन, सीसीपीसी निदेशिका प्रो. दिव्या मल्हान सहित अन्य ने भी अपने विचार रखे।