कमलेश भारतीय की चार लघुकथाएं
(1)
सेलिब्रिटी
संवाददाता का काम है- सेलिब्रिटी को ढूंढ निकालना । सेलिब्रिटी क्या करता है , कैसे रहता है , कहां जा रहा है । सब कुछ मायने रखता है । संवाददाता की दौड़ इनके जीवन व दिनचर्या के आसपास लगी रहती है । पिछले कई वर्षों से इस क्षेत्र में हूं । सुबह उठते ही सेलिब्रिटीज का ध्यान करता घर के गेट के आगे खड़ा था । पडोस में बर्तन मांझते व सफाई करने वाली प्रेमा आई तो साथ में उसकी बेटी को देखकर थोडा हैरान होकर पूछा - कयों , आज इसके स्कूल में छुट्टी है क्या ?
- नहीं तो । यह तो घरों में काम करने जा रही है ।
- कयों ? पढ़ाने का इरादा नहीं ?
- मेरा तो इसे पढ़ाने का विचार है लेकिन इसने अपनी नानी के लिए पढ़ाई छोड़ दी । बर्तन मांझने का फैसला किया है ।
- कयों बेटी , ऐसा किसलिए ?
- नानी बीमार रहती है । मां के काम के पैसे से घर का गुजारा ही मुश्किल से होता है । नानी की दवाई के लिए पैसे कहां से आएं ? मैं काम करूंगी तो नानी की दवाई आ जायेगी ।
इतना कहते बेटी मां के साथ काम पर चली गई । मैंने मन ही मन इस सेलिब्रिटी के आगे सिर झुका दिया ।
(2)
संस्कृति
-बेटा , आजकल तेरे लिए बहुत फोन आते हैं ।
- येस मम्मा ।
-सबके सब छोरियों के होते हैं । कोई संकोच भी नहीं करतीं । साफ कहती हैं कि हम उसकी फ्रेंड्स बोल रही हैं ।
- येस मम्मा । यही तो कमाल है तेरे बेटे का ।
-क्या कमाल ? कैसा कमाल ?
- छोरियां फोन करती हैं । काॅलेज में धूम हैं धूम तेरे बेटे की ।
- किस बात की ?
- इसी बात की । तुम्हें अपने बेटे पर गर्व नहीं होता।
- बेटे । मैं तो यह सोचकर परेशान हूं कि कल कहीं तेरी बहन के नाम भी उसके फ्रेंड्स के फोन आने लगे गये तो ,,,?
- हमारी बहन ऐसी वैसी नहीं हैं । उसे कोई फोन करके तो देखे ?
- तो फिर तुम किस तरह कानों पर फोन लगाए देर तक बातें करते रहते हो छोरियों से ?
-ओ मम्मा । अब बस भी करो ,,,,
(3)
शर्त
युवा समारोह में श्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार जीतने वाली कलाकार अभिनय से अचानक मुख मोड़ गयी । क्यों ? यह सवाल पूछा तब उसने ठंडी आह भर कर बताया कि सर, नाटक निर्देशक मुझे स्टुडियो मे कदम रखने सै पहले कहने लगे कि अंदर जाने से पहले शर्त यह है कि शर्म बाहर रखनी होगी ।
बस, मेरी कला शर्मसार होने से पहले घर लौट आई ।
(4)
सबसे खूबसूरत मुस्कान
मैं एक समारोह में आमंत्रित था । मुख्य मेहमान । सर्दी से बुरा हाल था । सभागार के अंदर जिस सोफे पर बैठा वहां द्वार निकट ही था । पूरी तरह ठंड जकड़ रही थी । बाहर से शीतलहर भी आ रही थी । मंच पर नृत्य हो रहे थे । एक के बाद एक प्रस्तुति । इतने में काॅफी सर्व होने लगी । ट्रे में कप और बिस्कुट आए । पीकर जैसे ही रखने लगा मेरी नज़र नीचे फर्श पर ऊकडूं होकर बैठी एक बच्ची पर पड़ी । वह मग्न होकर नृत्य देख रही थी । उसे किसी ने काॅफी नहीं दी । मैंने काॅफी सर्व करने वाले को बुलाया । एक कप और दो बिस्कुट उठाये और उस नन्ही बच्ची का कंधा थपथपाया ।
उसने पीछे मुड़कर देखा । मैंने कप और बिस्कुट उसके हाथों में थमा दिये । वह एक पल में कुछ समझी और कुछ नहीं समझी लेकिन समझ आते ही वह मुस्करायी ।
यह मेरे लिए दुनिया की सबसे खूबसूरत मुस्कान थी ।
-कमलेश भारतीय