अश्विनी जेतली की क़लम से तराशी गई ताज़ा-तरीन ग़ज़ल

`सिटी एयर न्यूज़' के पाठकों के लिए विशेष

अश्विनी जेतली की क़लम से तराशी गई ताज़ा-तरीन ग़ज़ल
अश्विनी जेतली।

आर्ट वर्क- गरिमा धीमान।

सहज होगा हर संघर्ष ये आज़मा कर देख ले 
अपनों संग हर्ष के कुछ क्षण बिता कर देख ले 

महकता और जगमगाता देखना है घर अगर 
घर का कोई एक कोना किताबों से सजा कर देख ले 

नफरतों को भूल जा और प्यार से जी जिन्दगी
प्रेम का तू इक दिया दिल में जला कर देख ले 

दुश्मन तेरा अदृश्य है, पर है खड़ा बाहर कहीं 
ग़र उसे है अब भगाना, ख़ुद को छुपा कर देख ले 

हर किसी चेहरे में रब्ब ही नज़र आएगा तब
ग़ैर को भी प्यार कर, अपना बना कर देख ले।