समाचार विश्लेषण/भारत जोड़ो से हरियाणा जोड़ो तक
-*कमलेश भारतीय
बॉम्बे से बड़ौदा तक ,
रेल चली छक छक ...
ऐसा कोई गाना याद आता है आपको ? आ गया होगा और अब देखिए राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा की तैयारियां करते करते युवा राज्यसभा सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने गुरुग्राम में चल रही तैयारियों की बैठक के बीच घोषणा की कि राहुल की भारत जोड़ो यात्रा के तुरंत बाद वे भी हरियाणा जोड़ो यात्रा शुरू कर देंगे और हरियाणा के हर गांव व शहर में लोगों से मिलकर उनके मन की बात सीधे सीधे सुनने की कोशिश करेंगे । यह यात्रा हरियाणा के सन् 2024 के विधानसभा चुनाव की तैयारी यात्रा मानी जा सकती है । कन्याकुमारी से कश्मीर तक राहुल गांधी की यात्रा रहेगी तो हरियाणा में कहां से कहां तक दीपेंद्र हुड्डा की यात्रा रहेगी , यह अभी विचार किया जायेगा और हां , दीपेंद्र का जनवरी के पहले सप्ताह में जन्मदिन कहां मनाया जायेगा ? यह भी तय किया जायेगा । वैसे इनके पिता व हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने भी कंडेला से दिल्ली तक किसानों की आवाज उठाने के लिए पदयात्रा की थी । वे सफल रहे थे ।
यात्रायें चाहे राजनीतिक हों या साहित्यिक या सामाजिक लोगों को जोड़ने के लिए होती हैं । महात्मा गांधी , बिनोवा भावे , जयप्रकाश नारायण , लाल कृष्ण आडवाणी कितने ही लोगों ने यात्रायें कीं और मनवांछित फल भी मिले ! स्वतंत्रता आंदोलन को बल मिला , भूदान आंदोलन बढ़ा , राम मंदिर का निर्माण आखिरकार हुआ और लोकतंत्र बचाने की कवायद आपातकाल के बाद हुई । ये सब उपलब्धियां यात्राओं के सहारे ही प्राप्त हुईं । यात्रायें तो सामाजिक कार्यक्रत्ताओं ने भी कीं । मेधा पाटकर यानी पुल वाली ताई और राजेंद्र राणा यानी जौहड़ बाबा ने पर्यावरण के लिए यात्रायें कीं । साहित्यिक यात्रायें महाराष्ट्र में पुस्तक यात्रा के रूप में की जाती हैं और हरियाणा में प्रदेश की साहित्य अकादमी की ओर से भी यात्रा की गयी जो लेखकों को आज तक यह है । ऐसी और यात्रा की जरूरत महसूस की जा रही है ।
राजनीतिक यात्राओं पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुटकी ले चुके हैं कि ये सत्ता से बेदखल लोगों की यात्रा है । सत्ता से जुड़ने पर जिन लोगों का सम्पर्क जनता से टूट जाता है , वे फिर सत्ता से भी बेदखल हो सकते हैं , यह सबक भी आलोचना करने से पहले ले लेना चाहिए । हिमाचल में सम्पर्क ही तो टूट गया भाजपा का और राष्ट्रीय अध्यक्ष जे पी नड्डा भी कोई करिश्मा अपने गृह राज्य में न दिखा पाये ! क्या वे भी हिमाचल यात्रा पर निकलेंगे और लोगों से पूछेंगे कि गलती कहां हुई ? कहाँ चूक हुई ? दूसरों की यात्राओं पर आलोचना करने की बजाय खुद आगे बढ़कर सबक लेने का समय है । कभी छोटी सी कविता लिखी थी , उसका अंश दे रहा हूं :
यात्रायें बहुत जरूरी हैं
न केवल दूसरों को जानने के लिए
बल्कि यह जानने के लिए भी कि
इस दुनिया में
हमारी जगह कहां है
और कितनी है ! ।
-*पूर्व उपाध्यक्ष , हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।