नाश्ते से लेकर राजनीति तक...
-*कमलेश भारतीय
वैसे तो राजनीति में डिनर डिप्लोमेसी ही कही जाती है, बेशक नाश्ता ही किया जाये। यह भोजन की डिप्लोमेसी शुरू से चलती आई है, कोई नयी बात नहीं! राजनीति में समय समय पर इसकी जरूरत आन पड़ती है और हरियाणा के नये मुख्यमंत्री को भी पड़ गयी । चुनाव प्रचार बीच में छोड़ कर दिल्ली में कुलदीप बिश्नोई के घर मान मनोबल के लिए जाना पड़ा । नाश्ते के बीच नाराजगी सामने आई कि चौ भजनलाल से जोड़ कर वह 'पटवारी वाला किस्सा' पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने क्यों जनसभा में सुनाया? वह किस्सा बिश्नोई परिवार से हज़म नहीं हो रहा । दिल का दर्द होंठों पर आया और यह भी कहा रेणुका बिश्नोई ने कि भव्य को मंत्रिमंडल में जगह नहीं दी और इनकी आईएएस बहू परी को हरियाणा कैडर अभी तक नहीं दिया गया ! जो बात दबाते आया था बिश्नोई परिवार वह मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के सामने होंठो पर आ गयी ! मुख्यमंत्री ने भी बहुत डिप्लोमेटिक जवाब दिया कि भव्य भविष्य के नेता हैं ! अब भविष्य और भव्य कब एक होते हैं, इसका इंतज़ार कीजिये! थोड़ा इंतज़ार का मज़ा लीजिए ! हां, अभी मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को नारनौंद के लिए पू्र्व मत्री कैप्टन अभिमन्यु का नाश्ता भी खाना होगा और उन्हें भी मनाना बाकी हैं पर वे हरियाणा में हैं ही नहीं असम में भाजपा की दी गयी जिम्मेदारी निभाने गये हैं ! एक बार पंजाब के नवजोत सिंह सिद्धू भी अरविन्द केजरीवाल के साथ नाश्ता करने दिल्ली गये थे लेकिन बात नहीं बनी थी। इस बार तो सिद्धू का राजनीति में नाम ओ निशान ही नहीं !
वैसे दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की पत्नी सुनीता भी राजनीति में आ गयी हैं और वे आप के प्रत्याशियों के पक्ष में रोड शो निकालेंगीं !
इधर हरियाणा में राष्ट्रीय कांग्रेस ने प्रत्याशियों की घोषणा देर रात कर ही दी ! इसमें चौ बंसीलाल की पोती श्रुति चौधरी के मन का डर सच साबित हुआ, टिकट कट गयी ! कहते हैं कि दो दो लोकसभा चुनाव हारना उनके गले की फांस बन गया ! इसी तरह हिसार के पूर्व सांसद व पूर्व आईएएस अधिकारी बृजेंद्र सिंह भी टिकट से वंचित रह गये, हालांकि उन्होंने भाजपा छोड़कर कांग्रेस का हाथ थामा था ! यहां से फिर जयप्रकाश ही मैदान में उतारे गये हैं, जो कभी ग्रीन ब्रिगेड के लिए मशहूर रहे । राव दान सिंह, दिव्यांशु बुद्धिराजा, सतपाल ब्रह्मचारी, वरूण मुलाना, महेंद्र प्रताप पहली पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ने जा रहे हैं। अभी एक लोकसभा क्षेत्र का पेंच बाकी है-गुरुग्राम से राज बब्बर या कैप्टन अजय यादव?
देखते रहिये और डिनर डिप्लोमेसी का आनंद लीजिए! दुष्यंत कुमार कहते है :
आपके कालीन देखेंगे किसी दिन
इस समय तो पांव कीचड़ में फंसे हैं!
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी।