सत्य के प्रयोग से लेकर विटनेस तक
-*कमलेश भारतीय
यदि आत्मकथा साहित्य की बात करें तो सबसे ज्यादा चर्चित आत्मकथा महात्या गांधी द्वारा लिखित सत्य के प्रयोग ही कही जा सकती है, जिसने पाठकों पर अमिट प्रभाव छोड़ा । इनके बाद अनेक आत्मकथायें लिखी गयीं । प्रसिद्ध कवि हरिवंश राय बच्चन ने भी चार भागों में अपनी जीवनी लिखी तो प्रसिद्ध कथाकार विष्णु प्रभाकर ने भी अपने जीवन के संस्मरण लिखे । ये सभी हिंदी साहित्य में चर्चित रहीं । फिल्मी दुनिया में ऋषि कपूर ने खुल्लमखुल्ला लिखी, जो चर्चा में आई, कुछ विवाद भी । नीतू सिंह से प्यार और विदेश में शूटिंग करते टेलीग्राम भेजना- सिक्खनी, आई मिस यू । हरियाणा के बहुचर्चित आईएएस, खासतौर पर तबादलों के लिए चर्चित अशोक खेमका पर भी अंग्रेज़ी में किताब आई । खेमका तबादलों का अर्द्धशतक लगा चुके हैं । प्रसिद्ध अभिनेत्री दीप्ति नवल ने भी अमृतसर में बिताये अपने अठारह वर्षों को ए कंट्री दैट काल्ड चाइल्डहुड में पांच सौ पेज में समेटा है, जिसमें फिल्म के लिए पैशन, परिवार का इतिहास और छोटी छोटी बातें, जो बहुत रोचक और संदेशप्रद भी हैं, लिखी गयी हैं ! वयोवृद्ध लेखक डाॅ रामदरश मिश्र ने मेरा कमरा में रोचक संस्मरण लिखे हैं, जो बहुत कुछ सिखाते भी हैं। प्रसिद्ध कथाकार रवींद्र कालिया के संस्मरण गालिब छुटी शराब और छूटी सिगरेट भी कम्बख़्त कमाल के हैं और खूब पढ़े गये हैं ।
ऐसी अनेक आत्मकथात्मक या संस्मरणात्मक पुस्तकें हो सकती हैं लेकिन ये तुरंत मेरे ध्यान में आईं क्योंकि आज महिला पहलवान साक्षी मलिक की पुस्तक विटनेस की चर्चा पढ़ने को मिली है, खासतौर से इसमें हाल ही में पहलवान से राजनीति में उतरीं विनेश फौगाट पर साक्षी ने कहा है कि बजरंग व विनेश फौगाट के करीबियों ने उनके मन में लालच भर दिया, इससे आंदोलन में दरारें आईं । यह बहुत बड़ा खुलासा हो सकता है विटनेस पढ़ने के बाद । यह तो सबको पता है कि पहलवान संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ यौन शोषण के आरोप लगाते साक्षी मलिक, विनेश फौगाट व बजरंग पूनिया सहित पहलवान जंतर मंतर पर धरने पर बैठे थे । साक्षी का कहना है कि विनेश फौगाट और बजरंग पूनिया के एशियाई खेलों के ट्रायल्ज में छूट लेने से उनके आंदोलन की छवि धूमिल हुई, जिससे इनके फैसले से इंसाफ की लड़ाई में स्वार्थ दिखने लगा । साक्षी ने यह भी लिखा कि विनेश फौगाट व बजरंग पूनिया के करीबियों ने उनके दिमाग में लालच भर दिया! यही वजह रही कि आंदोलन में दरार आई है ।
वैसे चौंकाने वाला खुलासा करते हुए साक्षी मलिक ने इसमें लिखा कि बचपन में ट्यूशन देने वाले टीचर ने उससे छेड़छाड़ की, इसके बारे में वह परिवार को बता नहीं सकी । फिर उनकी रूचि पहलवानी में बढ़ती चली गयी । वह लिखती है कि जब देश का राष्ट्रीय गान दूसरे देश में जीतने के बाद बजता था तो अलग ही खुशी होती थी ।
साक्षी की विटनेस पर किये गये खुलासे पर विनेश फौगाट क्या प्रतिक्रिया देती हैं, यह देखने वाली बात होगी । कहीं ऐसा तो नहीं कि साक्षी भी टिकट की उम्मीद लगाये बैठी रही और न मिलने पर राजनीति में कदम रखने से चूक गयी ? निदा फ़ाज़ली कहते हैं :
दो चार गाम राह को हमवार देखना
फिर हर क़दम पे इक नई दीवार देखना
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी।