एक स्मृति- सम्मान जो बिना भागदौड़ के नवाजा जाए

एक स्मृति- सम्मान जो बिना भागदौड़ के नवाजा जाए

संयोग से स्वतंत्रता दिवस और रक्षाबंधन पर्व एकसाथ । याद आईं श्रीमती दीप्ति उमाशंकर । सन् 2003 में मुझे प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी से कथा संग्रह एक संवाददाता की डायरी पर अप्रैल में पुरस्कार मिला था । पंद्रह अगस्त से एक दिन पहले शाम को श्रीमती दीप्ति उमाशंकर का फोन आया - आपको कल स्वतंत्रता दिवस समारोह में जिला प्रशासन की ओर से सम्मानित किया जायेगा । अभी आपको जनसम्पर्क विभाग से फोन आयेगा और आप अपना परिचय लिखवा देना । 
मैंने कहा - बहना रक्षाबंधन पर तो भाई अपनी बहन को कुछ देता है । यह क्या ?
- आजकल कलयुग है । अब बहनों को भाइयों के बारे में सोचना पड़ता है । वे हंस कर बोलीं और जोड़ दिया कि अभी मेरे पास लिस्ट आई थी । मैंने देखा कि इसमें आपका नाम नहीं है तब मैंने डांट लगाई कि जिस लेखक को प्रधानमंत्री पुरस्कार दे , उसका सम्मान तो जिला प्रशासन को करना ही चाहिए । 
आज संयोग से रक्षाबंधन और स्वतंत्रता दिवस एक साथ आए तो यह बात भी याद हो आई । इसे कहते हैं सम्मान जो बिना भागदौड़ के नवाजा जाए ।
-कमलेश भारतीय