समाचार विश्लेषण/संसद से सड़क तक: सड़क पर पुलिस, घर में ईडी
-*कमलेश भारतीय
आजादी का अमृत महोत्सव अपने समापन पर है । हर घर तिरंगा लगाने का प्यार भरा आमंत्रण व आह्वान भी किया जा रहा है । तिरंगे का कौन विरोध करेगा ? हमारी शान तिरंगा है , देश का अभिमान तिरंगा है , स्वाभिमान तिरंगा है । तिरंगे के लिए और तिरंगे को आसमान में ऊंचा उठाने के लिए हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने प्राण न्योछावर किये । जीवन होम कर दिये , शीश अर्पित कर दिये , फांसी के फंदों पर हंसते हंसते झूल गये । यह तिरंगा न झुके । इसलिए हमारे सैनिक इसे पकड़े पकड़े ही अपनी जान दे देते हैं ।
खैर! आजादी के अमृत महोत्सव में एक सोशल मीडिया पर वायरल हो रही पोस्ट पर काॅर्टून है : सर ! ये गरीब आदमी अपने घर तिरंगा लगाने को तैयार है लेकिन इसके पास कोई घर ही नहीं है तो पहले इसे कोई घर अलाॅट कर दीजिए । यानी काॅर्टून इस ओर ध्यान दिला रहा है कि आजादी के अमृत महोत्सव में भी अभी करोड़ों लोग आसमान तले ही जीवन बिता रहे हैं और न जाने कितने लाख लोग बेरोजगार हैं । इन्हीं समस्याओं की ओर जब संसद में विपक्ष आवाज उठाना चाहता है तो अनेक सांसद निलंबित कर दिये जाते हैं यानी आवाज दबा देने की कोशिश एक तरीके से । बाहर आकर प्रदर्शन करने हैं तो सड़क पर पुलिस खदेड़ने आ जाती है एकदम से । अभी एक फोटो वायरल हो रहा है जिसमें राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा के कपड़े तक फाड़े जाने का दृश्य देख सकते हैं । राहुल गांधी बचाने की कोशिश करते दिख रहे हैं । यह भी अमृत महोत्सव की एक झांकी है । सोशल मीडिया पर ही एक और मजेदार टिप्पणी देखने /पढ़ने को मिली कि वे लोग भी अमृत महोत्सव मना रहे हैं जो कहते थे कि असली आजादी सन् 2014 के बाद ही मिली । वैसे यह प्रसिद्ध कवि धूमिल के काव्य संग्रह का शीर्षक है -संसद से सड़क तक । प्रसिद्ध पर्यावरण प्रेमी व चिपको आंदोलन से जाने जाते सुन्दरलाल बहुगुणा के बेटे व पत्रकार राजीव बहुगुणा ने बहुत सही लिखा है कि अब कांग्रेस अपने सही रूप में आई है । यही इसका चरित्र रहा जो अब सड़कों पर दिख रहा है । नहीं तो कांग्रेस चापलूसों है घिर चुकी थी । अब इसने अपना असली रूप प्राप्त कर लिया है ।
दूसरी ओर ईडी की 'माया' सब जगह फैली है अमरबेल की तरह । कहीं भी किसी भी विपक्षी नेता के घर पहुंच जाती है । जैसे ही कोई सत्ता पक्ष में एंट्री ले लेता है वैसे ही ईडी उसे छोड़कर सारे आरोप माफ कर देती है और वह नेता एकदम दूध का धुला हो जाता है । यानी सड़क पर पुलिस और घर में ईडी । बोलो फिर मेरा भारत महान् । हर घर तिरंगा लगाइए । मैंने तो लगा लिया है । सैल्यूट तिरंगे को ।
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।