हरियाण की माटी से /गठबंधन की राजनीति : यूज एंड थ्रो?
-*कमलेश भारतीय
क्या गठबंधन की राजनिति यूज एंड थ्रो की राजनीति है ? इसमें लम्बे समय तक कोई गठबंधन नहीं चल सकता ? वैसे तो चले हैं -महाराष्ट्र में भाजपा और शिवसेना का , पंजाब में भाजपा और अकाली दल का व हरियाणा में भाजपा-इनेलो का ! लेकिन अब नयी राजनितिक पारी में दोनों राज्यों में भाजपा पुराने दलों के साथ गठबंधन में नहीं है । पंजाब में अकाली दल से और हरियाणा में इनेलो से अब भाजपा का कोई रिश्ता नहीं रहा ! महाराष्ट्र में तो इतना ही हुआ था कि शिवसेना ने आधे कार्यकाल का मुख्यमंत्री पद देने की मांग रखी थी जिसे भाजपा ने अपने अहंकार में मानने से साफ इंकार कर दिया और अजीत पवार के साथ आधी रात को सरकार बना ली जो विश्वासमत का सामना भी न कर पाई । फिर यह लम्बे समय से चला आ रहा गठबंधन टूट गया । शरद पवार ने धुर विरोधी शिवसेना व कांग्रेस को एकजुट कर अघाड़ी सरकार बनवा दी । भाजपा के चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह इसे पचा नहीं पाये और आखिर अढ़ाई साल बाद शिवसेना से एकनाथ शिंदे को तोड़कर न केवल शिवसेना , कांग्रेस व एनसीपी की अघाड़ी सरकार गिरा दी बल्कि उद्धव ठाकरे की शिवसेना का कद भी इतना कम कर दिया कि एकनाथ शिंदे ही असली शिवसेना के स्वामी माने गये ! इस तरह जो गठबंधन सरकार बनी अब उसमें भी तीखी बयानबाजी शुरू हो चुकी है और रिश्ते की गांठ ढीली पड़ने लगी है । जहां तक कि उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणबीस मुख्यमंत्री शिंदे के साथ मंच भी साझा करने में संकोच करने लगे हैं ! कहा जा रहा है कि इससे पीछे एक विज्ञापन है जिसमें शिंदे को उपमुख्यमंत्री फडणबीस से ज्यादा लोकप्रिय बताया गया और जिस पर भाजपा सांसद अनिल बोंडे ने कहा कि मेंढक कितना भी फूल जाये लेकिन वह कभी हाथी नही बन सकता ! इस तरह अब महाराष्ट्र में गठबंधन में कड़वाहट आने लगी है । यह रिश्ता क्या कहलाता है वाली बात होने जा रही है ।
इसी तरह अपने हरियाणा में भी भाजपा-जजपा गठबंधन भी उस दिन से चर्चा में है जब से भाजपा प्रभारी विप्लब देब ने कहा कि उचाना से तो उनकी दीदी प्रेमलता ही विधायक बनेंगीं ! बस ! इस बयान ने जजपा के संस्थापक व पूर्व सांसद अजय चौटाला को गुस्सा दिला दिया और वे भी बोले कि कुछ हो जाये दुष्यंत चौटाला उचाना से ही अगले विधानसभा में जजपा प्रत्याशी होंगे ! बेशक मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर और उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला इस गठबंधन के जारी रहने के दावे कर रहे हैं लेकिन जिस भाषा में विप्लब देब बयानबाजी कर रहे हैं वह कब तक इस गठबंधन को बनाये रखेगी , कह नहीं सकते ! उन्होंने तो पलट कर यहां तक कह दिया कि गठबंधन कर कोई अहसान नहीं किया , सत्ता सुख भोगा है ! इस तरह यह गठबंधन की राजनिति धीरे धीरे यूज एंड थ्रो की ओर बढ़ती दिख रही है । एक समय कांग्रेस ने भी अनेक राज्यों व केंद्र में ऐसे कदम उठाये जिससे सरकारों का पतन हुआ । खासतौर पर चंद्रशेखर की सरकार चार महीने में ही गिरा दी थी ! अनेक राज्यों में गठबंधन तोड़कर राज्य सरकारों को गिराने का रिकार्ड भी कांग्रेस के नाम है । अब नये नये साथी तलाश किये जा रहे हैं । उत्तर प्रदेश मे एकबार बसपा प्रमुख मायावती ने भी भाजपा को यूज एंड थ्रो की तरह इस्तेमाल किया था ।
इस तरह के अनेक उदाहरण दिया जा सकते हैं । अब हरियाणा और महाराष्ट्र में चल रहे गठबंधनों के भविष्य पर सबकी निगाहें टिकी हुई हैं ! दुष्यंत कुमार के शब्दों में :
बाढ़ की संभावनायें सामने हैं
और नदियों के किनारे घर बने हैं !
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।