बस इक फुलटाइम अध्यक्ष चाहिए कांग्रेस के लिए ....
-कमलेश भारतीय
देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस को एक स्थायी अध्यक्ष की जरूरत है । देश की सबसे पुरानी पार्टी पिछले एक वर्ष से स्थायी अध्यक्ष नहीं चुन पाई । है न कमाल ? अब श्रीमती सोनिया गांधी का एक वर्ष का कार्यकाल समाप्त हो गया और निर्वाचन आयोग पूछ रहा है कि क्या हुआ आपको ? कांग्रेस जवाब में कहने जा रही है कि कोरोना हो जाने से हम अभी स्थायी अध्यक्ष नहीं चुन पाये । हमें कुछ समय और दीजिए ।
राहुल गांधी ने लोकसभा चुनाव के नतीजों के बाद अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था और मनाने के बावजूद बाल हठ कर बैठे और अध्यक्ष नहीं बने । अब शशि थरूर कह रहे हैं कि यदि राहुल गांधी अध्यक्ष बनना चाहें तो ठीक नहीं तो किसी और को बनाइए । हालांकि दिग्विजय सिंह और अशोक गहलोत अभी राहुल गांधी को अध्यक्ष बनाये जाने के पक्ष में है । कांग्रेस और गांधी एक दूसरे के पर्याय बन चुके हैं । गांधी के बिना कांग्रेस की कल्पना नहीं की जा रही लेकिन इस भंवर से कांग्रेस को निकलना होगा । राहुल गांधी खुद अमेठी से हारे यानी बहन प्रियंका जो दो सीट निकलती थीं अपने करिश्मे से , इस बार वह भी नहीं चला । अमेठी से स्मृति ईरानी जीत गयीं । यदि राहुल को किसी और जगह से ही चुनाव लड़ना था तो प्रियंका को ही अमेठी में उतार देती कांग्रेस । हर जगह ढीलापन । हर फैसला देरी से । हरियाणा में अध्यक्ष पद का फैसला करते करते विधानसभा चुनाव ही आ गये और इसका खमियाजा भुगतना पड़ा । सरकार बनते बनते रह गयी । यह अनिश्चितता के कारण हुआ । दिल्ली में कितने प्रयोग कर लिए । कभी अजय माकन तो कभी बबली तो कभी कोई और अध्यक्ष बनते गये लेकिन विधानसभा में परिणाम वही बिग जीरो । क्यों ? कौन करेगा आत्म-मंथन ? या कभी करेंगे विचार ? ऐसा क्यों होता है बार बार ? एक मजबूत विपक्ष की भूमिका तो निभाइए । कमजोर विपक्ष से तो देश का नुकसान हो रहा है । सत्ता पक्ष की मनमर्जियां बढ़ती जा रही हैं दिन-प्रतिदिन । किसी एक जगह से तो शुरूआत करनी होगी । कहीं से तो शुरूआत करोगे कि ऐसे ही दिशाहीन चलते रहोगे ? पंजाब में अपनी ही पार्टी के मुख्यमंत्री के खिलाफ दनदनाते बोल रहे हैं प्रताप सिंह बाजवा । कैसे इतनी अनुशासनहीनता ? कभी हरियाणा के अध्यक्ष रहते समय अशोक तंवर भी तो सोनिया गांधी के आवास के बाहर हाई-प्रोफाइल ड्रामा करते दिखे थे मीडिया चैनलों पर । कहां गया अनुशासन ? श्रीमती सोनिया गांधी का स्वास्थ्य उनका साथ नहीं दे रहा । जब तब अस्पताल जाने की खबरें आती हैं । प्रियंका से ब॔गला खाली करवा लिया । राजस्थान सरकार को बचाने के लिए गहलोत रिसोर्ट दर रिसोर्ट घूम रहे हैं । मध्य प्रदेश गंवा चुके । क्या क्या और गंवाओगे ? फैसला कीजिए । फैसले की घड़ी है कांग्रेस के लिए । कांग्रेस को हर राज्य में गुटबाजी ने मारा । इस महामारी पर कोई नियंत्रण नहीं पा सकी हाईकमान । हर राज्य में दो गुट आम हैं । पहले हाईकमान ही संतुलन बनाये रखने के लिए बढ़ाना देती आई और अब खुद उसी का शिकार हो रही है । कब होगा फैसला स्थायी अध्यक्ष का ?