ग़ज़ल / अश्विनी जेतली
ग़म-ए-ज़िंदगी में ऐसी भी करामात हुई है
वो ना होकर भी हर पल ही मेरे साथ हुई है
वो ना मिलता तो ना दर्द का अहसास होना था
वो मिलकर बिछडा, दर्द की बरसात हूई है
तड़प तड़प के पुकारा था जिसे दिल ने कभी
वो लैला कैस की अब सारी कायनात हुई है
दुनिया हसीन लगने लगी है उसे अब आजकल
जिस शख़्स की ख़ुद से पहली मुलाकात हुई है
दिल, जिगर, जान सब कुछ सौंप दिया उसको
नज़रों के मिलन की जिसके संग शुरूआत हुई है