गीता आधारित योग कर्म में उत्कृष्टता का मार्गः प्रो. एम.एम. गोयल

भारतीय ज्ञान प्रणाली पर ओरिएंटेशन कार्यक्रम आयोजित।

गीता आधारित योग कर्म में उत्कृष्टता का मार्गः प्रो. एम.एम. गोयल

हिसार, गिरीश सैनी। गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के मालवीय मिशन शिक्षक प्रशिक्षण केन्द्र (एमएमटीटीसी) के सौजन्य से 'भारतीय ज्ञान प्रणालीः गीता-आधारित नीडोनॉमिक्स और अनु-गीता की प्रासंगिकता' विषय पर एक ऑनलाइन एनईपी ओरिएंटेशन व सेंसिटाइजेशन कार्यक्रम आयोजित किया गया। नीडोनॉमिक्स स्कूल ऑफ थॉट के प्रवर्तक, कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त प्रोफेसर तथा पूर्व कुलपति प्रो. मदन मोहन गोयल ने बतौर मुख्यातिथि शिरकत की। अध्यक्षता एमएमटीटीसी की निदेशक प्रो. सुनीता रानी ने की।

 
मुख्यातिथि प्रो. मदन मोहन गोयल ने कहा कि भारतीय ज्ञान प्रणाली के अभिन्न अंग गीता-आधारित योग को कर्म में उत्कृष्टता के रूप में समझने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि अपने काम को कुशलता से करना (कर्म योग), एकाग्रता के साथ करना (ध्यान योग) और बिना परिणाम की चिंता किए करना (ज्ञान योग) ही वास्तविक योग है। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में ग्रीडोनॉमिक्स (लालच का अर्थशास्त्र) के कारण होने वाली समस्याओं का सरल समाधान गीता-आधारित नीडोनॉमिक्स में निहित है, जिसे नीडो-हेल्थ, नीडो-वेल्थ और नीडो-प्रसन्नता के साथ नीडो-उपभोग, नीडो-सेविंग, नीडो-इंवेस्टमेंट, नीडो-प्रोडक्शन और नीडो-गवर्नेंस के रूप में समग्र रूप से समझा जा सकता है। उन्होंने भारतीय ज्ञान प्रणाली पर आधारित शिक्षा की एक नई कहानी लिखने के लिए प्रतिभागियों को स्ट्रीट स्मार्ट (सरल, नैतिक, कार्य-उन्मुख, उत्तरदायी और पारदर्शी) बनने पर जोर दिया। कार्यक्रम के बैच समन्वयक एवं सहायक प्रोफेसर डॉ. अनुराग सागवान ने स्वागत भाषण दिया।