सतत विकास एवं पर्यावरण क्षेत्र में योगदान के लिए जीजेयू कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई को मिला लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड

सतत विकास एवं पर्यावरण क्षेत्र में योगदान के लिए जीजेयू कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई को मिला लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड

हिसार, गिरीश सैनी। गुरु जम्भेश्वर विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विवि के कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई को सतत विकास एवं पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से नवाजा गया है। कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई को यह अवार्ड मनोविज्ञान विभाग के सौजन्य से आयोजित दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन समारोह में दिया गया।

'बिल्डिंग सस्टेनेबल ओर्गनइजेशनल : साइकोलॉजिकल इश्यूज एंड चैलेंजिज' विषय पर हो रही इस संगोष्ठी में बतौर मुख्यातिथि गुजवि के पूर्व कुलपति प्रो. आर.पी. बाजपेयी ने शिरकत की। अध्यक्षता कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई ने की। रांची इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूरो साइकेट्री एंड एलाइड साइंसिज, रांची झारखंड के प्रो. अमोल रंजन सिंह मुख्य वक्ता तथा सोसायटी ऑफ इंडस्ट्रियल एंड ओर्गनइजेशनल साइकोलॉजी (एसओआईओपी) के अध्यक्ष प्रो. ए.पी. सिंह विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। संरक्षक कुलपति के तकनीकी सलाहकार प्रो. संदीप राणा तथा संयोजक मनोविज्ञान विभागाध्यक्ष डा. संजय कुमार व आयोजन सचिव डा. तरूणा हैं।

मुख्यातिथि प्रो. आर.पी. बाजपेयी ने अपने संबोधन में कहा कि राष्ट्र के निर्माण में मनोविज्ञान की महत्वपूर्ण भूमिका है।  मनोविज्ञान आपके विचारों में आधारभूत परिर्वतन लाने का सहायक बन सकता है। उन्होंने प्रतिभागियों से कहा कि अपनी सोच का दायरा बढ़ाते हुए नए उत्पादों का उत्पादन करें तथा अपने उत्पादों को पेटेंट करवाकर राष्ट्र निर्माण में योगदान दें। उन्होंने विद्यार्थियों से कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का एक टूल के रूप में प्रयोग करें तथा इसका फायदा उठाएं। 

कुलपति प्रो. नरसी राम बिश्नोई ने अपने संबोधन में कहा कि यूएनओ ने प्रकृति एवं पर्यावरण संरक्षण से संबंधित सतत विकास के जिन 17 उद्देश्यों का निर्धारण किया है, वे उद्देश्य गुरु जम्भेश्वर महाराज के 29 नियमों में पहले से ही स्थापित हैं। उन्होंने कहा कि यदि हम सतत विकास के लक्ष्यों की प्राप्ति की दिशा में कार्य करना चाहते हैं तो हमें संगठनों में मानसिक स्वास्थ्य, मनोविज्ञान स्थिरता और समावेशी संस्कृति को प्राथमिकता देनी होगी। 

मुख्य वक्ता प्रो. अमोल रंजन सिंह ने कहा कि वैश्विक स्तर पर संस्थानों में पर्यावरण, सामाजिकता, आर्थिक मुद्दों तथा मनोवैज्ञानिक आयामों पर गहनता से चर्चा हो रही है। औद्योगिक एवं संगठनात्मक विज्ञान इस दिशा में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। उन्होंने आर्थिक, सामाजिक एवं पर्यावरणीय सततता के विभिन्न पहलुओं पर विस्तार से चर्चा की। विशिष्ट अतिथि प्रो. ए.पी. सिंह ने एसओआईओपी के बारे में जानकारी दी। संरक्षक प्रो. संदीप राणा ने कहा कि सतत विकास केवल आर्थिक विकास ही नहीं, बल्कि हैप्पीनेस और वैल-बींग का सृजन करना भी है। विभागाध्यक्ष डा. संजय कुमार ने स्वागत सम्बोधन किया। धन्यवाद सम्बोधन डा. तरूणा ने किया। इस दौरान डा. संजय कुमार व डा. स्नेहा मित्तल द्वारा लिखी गई 'डिसेबिलिटी एंड रिहैबिलिटेशन' नामक पुस्तक और संगोष्ठी से संबंधित स्मारिका का विमोचन भी किया गया।