समाचार विश्लेषण/सरकारें आती जाती रहेंगी पर कुछ मर्यादा बनाये रखिए
-*कमलेश भारतीय
लोकतंत्र है और हर पांच साल बाद इस लोकतंत्र का महापर्व है यानी मतदान । पंजाब में यह महापर्व मनाया गया जबकि चरणबद्ध उत्तर प्रदेश में मनाया जा रहा है । वैसे पांच राज्यों में यह महापर्व आये था जैसे बसंत आया हो । जैसे वेलेन्टाइन आया हो । खूब खूब फूल गेंदबा मारे गये एक दूसरे पर । खूब खूब खरी खोटी सुनाई गयी एक दूसरे को । न कोई शर्म रखी , न कोई लिहाज । बस दे दनादन ।
अब कहा जा रहा है कि कोई ज्योतिषी ही बता सकता है कि पंजाब में किसकी बनेगी सरकार ? क्यों भई ज्योतिषी ने तो और जनता ने तो चंडीगढ़ नगर निगम में सरकार किसी की बनाने का जनादेश दिया था , मणिपुर , गोवा , मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र में किसी का जनादेश दिये थे । फिर भी आपसे बड़ा ज्योतिषी कौन है ? आप आप हैं , और किसमें दम है ? जो आपमें है , वह किसी और में कहां ? जो आप कर सकते हैं और ज्योतिष को पलट सकते हैं , और कौन पलट सकता है ? क्या कहने आपके ? कहती रहे प्रियंका कि कांग्रेस रिपीट करेगी सरकार । अभी बच्ची ही तो है जैसे कैप्टन अमरेंद्र सिंह ने कहा और बताया । क्या जाने राजनीति के खेल ।
तभी तो दिल्ली के मुख्यमंत्री व आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल कह रहे हैं कि बंद कर दीजिए सारी एजेंसियां और एक कवि को अपने दफ्तर में रख लें । वही बता देगा कि कौन आतंकवादी है और कौन नहीं ? बस , वाई सुरक्षा ही तो प्रदान करनी है । इसमें आपका क्या जाता है ? दे दीजिए । जो आपकी मदद करे , उसकी सुरक्षा तो आपको करनी ही पड़ेगी। आप कर रहे हैं । आपने कंगना रानौत को क्या नहीं दिया ? उसने भी आपके लिए कुछ कम किया क्या ? अभी आपके तरकश में और कितने तीर हैं , परिणाम के बाद आप चलाएंगे ही । ऐसे थोड़े चन्नी या अरविंद केजरीवाल सरकार बना लेंगे ? आपके होते किसकी हिम्मत है कि खेला होबे को रोक सके । खेला होबे , खदेड़ा होबे तक पहुंच गया पर खेला होता ही रहेगा । आपकी कसम जब आप गोटियां चलते हैं तब मजा आ जाता है । विरोधी जब हाथ मलते रह जाते हैं तब आपके लिए ताली बजाने को मन करता है । बजाता भी हूं और जय भी बोलता हूं आपकी । एक था आपका मुकाबला करने वाले अहमद पटेल वह चला गया । गुजरात में राज्यसभा चुनाव में खेला करके दिखा गया । महाराष्ट्र में शरद पवार ने खेला करके दिखा दिया । रास्थान में अशोक गहलोत ने दिखा दिया खेल । यह देश अब ऐसा खेल देख रहा है जिसे राष्ट्रीय खेल घोषित कर देना चाहिए । महाभारत के चक्रव्यूह इसके आगे कुछ नहीं । नये नये खेल हो रहे हैं और चुनाव परिणाम के बाद होने जा रहे है । जरा दिल थाम के रहिए । खेल देखने के लिए ।
जय हो लोकतंत्र के उत्सव की । क्या क्या देखने को मिल रहा है ,,,,
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।