समाचार विश्लेषण/राज्यसभा चुनाव के बाद हरियाणा की राजनीति 

समाचार विश्लेषण/राज्यसभा चुनाव के बाद हरियाणा की राजनीति 
कमलेश भारतीय।

-*कमलेश भारतीय 
दस जून को हरियाणा राज्यसभा के चुनाव संपन्न हो गये । कृष्ण लाल पंवार भाजपा से तो जजपा-भाजपा समर्थित निर्दलीय कार्तिकेय चुने गये जबकि कांग्रेस के अजय माकन को हार का मुंह देखना पड़ा । तब से आज तक हरियाणा की राजनीति में उबाल आया हुआ है । एक तरफ कुलदीप बिश्नोई बड़े बड़े दावे कर रहे हैं और बयान दाग रहे हैं -जैसे कि मैंने अंतरात्मा की आवाज पर बदला ले लिया । अब मेरे पिता जी की आत्मा जरूर प्रसन्न होगी । दूसरे मुझे बहुत हल्के में लिया गया जबकि मेरी पकड़ तो राजस्थान की बत्तीस सीटों पर है ।  तीसरे मेरी उपेक्षा कर उदयभान को प्रदेशाध्यक्ष बना दिया गया जबकि राहुल गांधी का वादा था कि आपको प्रदेशाध्यक्ष बनाया जायेगा और वे मुझसे पूरे माह तक मिलने और मुझे सुनने का समय भी न निकाल सके । आखिरकार मैंने यह कदम उठाया और सबको सबक सिखाने का काम किया । मैंने सबका घमंड तोड़कर दिखा दिया । दो चार दिन ऐसी बड़ी बड़ी बातें आती रहीं मीडिया में छन छन कर । जजपा की ओर से ऑफर मिली तो उनको भी सुना दी कि छोटी पार्टी में राजनीति नहीं करूंगा । इस तरफ बैठे बिठाये जजपा वालों को भी नाराज कर लिया । यह बयानबाजी कल तक भी जारी थी जब कार्तिकेय इनका आभार व्यक्त करने दिल्ली इनके घर गये । 
अब दूसरा पक्ष यह है कि कांग्रेस ने तुरंत प्रभाव से पार्टी के सभी पदों से निलम्बित कर दिया । राहुल गांधी शायद मिलने की सोच रहे थे , वह संभावित मुलाकात भी टाल दी गयी ।  कांग्रेस को इनकी अंतरात्मा की वोट बहुत महंगी पड़ी तो अब कांग्रेस में इनको रखने का कोई औचित्य तो नहीं । विधायक पद बचता है तो और बात है । अभी भाजपा में जाने की सोच रहे हैं । वैसे तो पहले ही स्वागत् है , स्वागत् है की आवाज सुनाई दे रही है और ये भी दल बदलने से पहले आदमपुर में अपने कार्यकर्त्ताओं से मुलाकात कर उनकी राय ले रहे हैं और राय मिल रही है कि पहले से पूरी बात खोल लो । कहीं पहले वाली न बन जाये । सबको पता है कि पहले भी भाजपा से गठबंधन हुआ था लेकिन निभा नहीं । अब ऐसी डील सामने आ रही है कि आदमपुर विधानसभा क्षेत्र और हिसार लोकसभा क्षेत्र इनको दिया जाये । इसी से पेंच फंस गया है । लोकसभा क्षेत्र से पूर्व आईएएस अधिकारी व चौ बीरेन्द्र सिंह के बेटे बृजेंद्र सिंह ने ही इनके बेटे भव्य बिश्नोई को पराजित किया था और जमानत तक जब्त हो गयी थी । यही नहीं आदमपुर विधानसभा में भी बढ़त बृजेंद्र सिंह ही ले गये थे । अब वही नेता राजस्थान की बत्तीस सीटों पर पकड़ का दावा करे तो कितना हास्यास्पद लगता है । अपने ही बेटे को आप बढ़त न दिला पाये ? चौ भजनलाल ने राजनीति में आपकी शुरूआत बहुत शानदार तरीके से की थी । आदमपुर से जितवा कर । फिर भिवानी लोकसभा क्षेत्र में दो दो पूर्व मुख्यमंत्रियों के बेटों को हराया । कितना शानदार कैरियर दिया था आपको और आपने अपने बेटे की शुरूआत पराजय और बहुत बड़ी पराजय से करवाई ? 
अब चौ बीरेन्द्र सिंह पहले से ही भांप रहे हैं इस पाला बदलने से होने वाले असर को , जो उनके बेटे पर पड़ने वाला है । यानी उनके विरोध को सहना पड़ेगा।  दूसरी ओर सोनाली फौगाट भी आदमपुर में जा जा कर अपने समर्थकों को कह रही हैं कि भाजपा में आ जाने के बावजूद मेरी और आपके ही सुनी जायेगी । यह सोनाली फौगाट है , इसके अपने ही ठाठ हैं । 
तीसरी ओर प्रो सम्पत सिंह का नलवा से कांग्रेस में टिकट कटवा कर अपने घोर समर्थक रणधीर परिहार को दिलवाया था जिससे नाराज होकर वे कांग्रेस को अलविदा कह गये थे । भाजपा में शामिल हो गये थे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के बाद । क्या वे कुलदीप बिश्नोई के भाजपा में आने के बाद उनके साथ मंच सांझा कर पायेंगे ? चौथे सज्जन हैं सतिंद्र सिंह जो कांग्रेस छोड़कर भाजपा मे आए थे कि कुलदीप के होते कभी मौका न मिलेगा कांग्रेस में । अब क्या वे भी रहना पसंद करेंगे भाजपा में ? क्या इतने सारे नेता समाये रहेंगे भाजपा में ? यानी इतनी मयानें एक साथ एक पार्टी में रह सकेंगीं ? यह आने वाले दिन बतायेंगे ।
उधर कांग्रेस में भी नाराज नेताओं की चर्चा हो रही है अजय माकन को हरियाणा से राज्यसभा टिकट देने पर । जैसे दावेदार रहीं खुद पूर्व प्रदेशाध्यक्ष शैलजा । जो एकदम हाशिये पर आ चुकी हैं । बीच में ही प्रदेशाध्यक्ष के तौर पर उनका कार्यकाल समाप्त कर दिया गया और फिर राज्यसभा टिकट भी न मिली । इनके समर्थन में बोले कैप्टन अजय यादव की अजय माकन की बजाय इस सीट पर शैलजा का हक बनता था । इस तरह दो नेता तो कांग्रेस में मुखर हैं ही । अभी कांग्रेस में कोई उथल पुथल हो सकती है इस राज्यसभा चुनाव परिणाम के बाद ? यह अंदाजे भी लगाये जा रहे हैं । जीत में सब कमियां छिप जाती हैं लेकिन हार के बाद पार्टी में ही विरोधी सक्रिय हो जाते हैं । इसके बावजूद भाजपा इतनी देर क्यों लगा रही है कुलदीप बिश्नोई की शामिल करने में ? यह भी एक यक्ष प्रश्न है । 
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।