समाचार विश्लेषण/हरियाणा प्रदेश कांग्रेस चिंतन
गुटबाजी की दीमक का इलाज कब होगा?
-*कमलेश भारतीय
उदयभान के कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष बनने के बाद , पहली बार पंचकूला में एक दिवसीय चिंतन शिविर रखा गया लेकिन इससे पहले राज्यसभा चुनाव में तकतरफ कुलदीप बिश्नोई ने अंतरात्मा की आवाज पर वोट दी तो दूसरी तरफ किसी एक विधयक ने अपनी वोट रद्द करवा कर प्रत्याशी अजय माकन की हार पक्की कर दी । यह पहला पहला इम्तिहान था उदयभान का और इसमें गुटबाजी ने पूरा रंग दिखाया ।
दूसरी ओर सैलजा को जब काग्रेस कार्यकारिणी समिति की सदस्या बनाया गया तब हिसार में उनके समर्थकों ने उनका स्वागत् इस तरह किया मानो कोई किला फतह कर लिया हो । इस समारोह में प्रदेशाध्यक्ष उदयभान और प्रतिपक्ष नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा के चेहरे पोस्टरों पर से गायब थे जबकि रणदीप सिंह सुरजेवाला का फोटो चमक रहा था । किसी किसी पोस्टर में तो सोनिया व राहुल के चेहरे भी नदारद थे । यह भी गुटबाजी का एक शानदार उदाहरण कहा जा सकता है । इसलिए कहा जा रहा है कि काग्रेस को हराने के लिए किसी दूसरे की कोई जरूरत ही नहीं । कांग्रेस ही कांग्रेस को हराने के लिए काफी है । यही प्रदेश कांग्रेस में भी साफ दिखाई दे रहा है ।
चिंतन शिविर में न तो प्रदेश कांग्रेस प्रभारी विवेक बंसल को न्यौता दिया गया और न ही कुलदीप बिश्नोई को । उदयभान ने तो यहां कहा कि हर कार्यक्रम में प्रदेश प्रभारी को बुलाना जरूरी तो नहीं । अब लग रहा है कि विवेक बंसल भी अपने पद से जाने वाले हैं । थोड़े ही दिन के मेहमान ! कार्यकारी अध्यक्ष श्रुति चौधरी फतेहाबाल की जनसभा में तो आई थीं लेकिन पंचकूला के चिंतन शिविर में मां बेटी दोनों की तबीयत बिगड़ गयी बताते हैं । हालांकि किरण चौधरी तोशाम के जनसम्पर्क अभियान पर निकली हुईं हैं , जैसे कि समाचार आ रहे हैं । एक दिन के लिए अभियान स्थगित भी किया जा सकता था । साफ जाहिर है कि वे आने के मूड में ही नहीं थीं । सैलजा और रणदीप सुरजेवाला भी नहीं आए । इस तरह साफ साफ संकेत हैं कि गुटबाजी की दीमक हरियाणा प्रदेश काग्रेस को चुपके चुपके खाये जा रही है । समय रहते इसका इलाज बहुत जरूरी है । गुटबाजी डायन सब चाटे जाये है ,,,
दूसरी ओर प्रतिपक्ष नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कुछ घोषणाएं की हैं जो लोकलुभावन हैं जैसे तीन सौ यूनिट बिजली फ्री और वृद्धावस्था पेंशन छह हजार रुपये तक करना यदि कांग्रेस सरकार आती है तो ! यह फैसला भी किया गया कि चिंतन शिविर हर छह माह बाद आयोजित किया जायेगा और अगला शिविर गुरुग्राम में नवम्बर को होगा । यह मिलन और चिंतन तभी सही दिशा ले पायेगा जब गुटबाजी को दूर करने की गंभीर कोशिशें की जायेंगीं । इस ओर चिंतन करने की जरूरत है ।
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।