हरियाणा में साहित्य की बात बहुत ध्यान से सुनते हैं: नासिरा शर्मा 

प्रसिद्ध लेखिका नासिरा शर्मा का कहना है कि चाहे कहानी आंदोलन रहे या फिर स्त्री या दलित जैसे विमर्श इनसे हिंदी साहित्य को तो फायदा नहीं हुआ लेकिन कुछ लोग इनके सहारे चर्चित जरूर हो गये ।

हरियाणा में साहित्य की बात बहुत ध्यान से सुनते हैं: नासिरा शर्मा 
नासिरा शर्मा ।


-कमलेश भारतीय 
प्रसिद्ध लेखिका नासिरा शर्मा का कहना है कि चाहे कहानी आंदोलन रहे या फिर स्त्री या दलित जैसे विमर्श इनसे हिंदी साहित्य को तो फायदा नहीं हुआ लेकिन कुछ लोग इनके सहारे चर्चित जरूर हो गये । नासिरा शर्मा ने उपन्यास, कथा, रिपोर्ताज , बाल लेखन , संस्मरण और अनुवाद अनेक क्षेत्रों में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है । हाल ही में राजकमल प्रकाशन से इनका उपन्यास' अल्फा बीटा गामा' आया है और चर्चित हो रहा है ।
मूल रूप से नासिरा शर्मा जिला रायबरेली के मुस्तफ़ाबाद से हैं और उन्हें गर्व है कि ऊंचाहार रेल का नाम उनके गांव के कारण ही रखा गया । इनकी स्नातक की शिक्षा इलाहबाद में हुई । फिर शादी हो जाने पर वे अपने पति प्रो रामचंद्र शर्मा के साथ इंग्लैड चली गयीं और तीन वर्ष तक एडनबरा में बिताने के बाद वापिस आने पर जेएनयू में पाच वर्ष की पर्शियन में एमए की । इसके बाद स्वतंत्र लेखन शुरू किया और पत्रकारिता भी । 

-साहित्य में रूचि कैसे ?
-पूरा परिवार साहित्यिक रूचि रखता है और इसी के चलते मेरी रूचि भी साहित्य में होना स्वाभाविक था । 
-शुरूआत किस विधा से की ?
-कथा लेखन से । फिर अन्य विधाओं में रूचि बढ़ती गयी । 
-कितनी पुस्तकें आ गयीं अब तक ?
-पचास के आसपास । इनमें चौदह उपन्यास , दस कथा संग्रह , लेख , संस्मरण , रिपोर्ताज , बाल लेखन आदि भी हैं तो अनुवादित साहित्य भी है ।
-जो प्रमुख सम्मान मिले उनके बारे में बताइए ।
-सन् 2016 का साहित्य अकादमी सम्मान, सन् 2019 का व्यास सम्मान और महात्मा गांधी हिंदी संस्थान से सन् 2012 में सम्मान सहित अनेक सम्मान/पुरस्कार ।
-आपने अनेक विधाओं में लिखा तो कौन सी विधा में सबसे ज्यादा सुकून मिलता है ?
-सभी विधाओं में सुकून मिलता है क्योंकि मैं एक लेखक हूं और लेखक के अपने कई रंग होते हैं । 
-कोई फिल्म या नाटक बना आपकी रचनाओं पर ?
-हरियाणा के राजीव रंजन ने मेरी कहानी पर 'अपनी कोख' नाटक तैयार करवाया जिसे दिनेश खन्ना ने निर्देशित किया और बहुत बार खेला गया । टीवी फिल्म भी बनी एक रचना पर । 'अपनी कोख' नाटक के हरियाणा में तीन सौ से ऊपर शोज हुए जो एक प्रकार से कीर्तिमान कहा जा सकता है । यह नाटक भ्रूण हत्या पर है और लोग इसे देखते रोये बिना न रहते थे ।
-कथा आंदोलनों और स्त्री/दलित जैसे विमर्शों से क्या हुआ ?
- दलित व स्त्री हमेशा साहित्य के फोकस में रहे हैं लेकिन बाद में इन्हें विमर्शों का हिस्सा बन दिया गया जो दुखद है । कुछ लोगों को फोकस मिला । नारे की तरह रहे ये विमर्श । यह हमेशा होता है । कुछ लोगों का भला हुआ । आंदोलन से जुड़ने से चर्चा मिली । 
-क्या महिला लेखन /पुरूष लेखन की बात सही है ?
-नही । मैं हमेशा से इस तरह की खानाबंदी के खिलाफ रही हूं । 
-हरियाणा के बारे में आपके क्या अनुभव हैं ?
-मै हरियाणा बहुत घूमी और अनेक स्कूल कालेजों में जाने का अवसर मिला । मेवात में मेरे पति रामचंद्र शर्मा ने गांव गोद ले रखा था तो मेवात जाने का अवसर भी बहुत बार मिला । भगवान् दास मोरवाल व पारूथी जी सहित अनेक रचनाकारों से परिचय भी है । भगवान् दास मोरवाल ने न केवल उर्दू सीखी बल्कि बहुत मेहनत से उपन्यास लिखे । आपसे भी दिल्ली में रेणु हुसैन के कथा संग्रह के विमोचन पर परिचय हुआ । हरियाणा के लोग साहित्य के प्रति बहुत उत्सुकता रखते हैं और बहुत ध्यान से सुनते हैं । 'हरिभूमि' में मेरी अनेक रचनाओं को प्रमुखता से प्रकाशित किया जाता रहा ।
-नयी पीढ़ी को क्या गुरुमंत्र देना चाहेंगीं ?
-बस । लिखते रहो । अच्छे से अच्छा लिखने की कोशिश करते रहो ।
-आगे क्या योजना है ?
-अभी तो उपन्यास आया है -अल्फा बीटा गामा । आगे देखते हैं नया ।
हमारी शुभकामनाएं नासिरा शर्मा को ।