थियेटर किया है , थियेटर ही करूंगा : युवराज शर्मा 

थियेटर किया है , थियेटर ही करूंगा : युवराज शर्मा 

-कमलेश भारतीय 
आज तक थियेटर ही किया है , थियेटर ही जिया है और आगे भी थियेटर ही करता रहूंगा ! यह कहना है प्रसिद्ध रंगकर्मी युवराज शर्मा का जो शुरू में तो यमुनानगर में पढ़े लिखे, थियेटर से जुड़े और आजकल गुरुग्राम में बस गये हैं । वैसे इनका जन्म रोहतक में हुआ , इनके पिता कृष्णमूर्ति शर्मा वहीं आई टी आई में पोस्टिड थे । फिर वे यमुनानगर ट्रांस्फर हुए तो वहीं बस गये । मां राज कौशल्या स्कूल टीचर थीं । यमुनानगर के एम एल एन काॅलेज से ग्रेजुएशन की । 

-कैसे लगा यह थियेटर का शौक ?
-एम एल एन काॅलेज में हमारे प्राध्यापक थे कंवल नयन कपूर जिन्होंने मेरी प्रतिभा को पहचाना और थियेटर में ले लिया । इसके बाद उन्हीं के सुझाव से मैं पंजाब विश्वविद्यालय के थियेटर डिपार्टमेंट से एक साल का डिप्लोमा करने चला गया । वहां बलवंत गार्गी थियेटर विभाग के निर्देशक थे और मेरे पहले प्रोफ़ेशनल ड्रामा टीचर  ।
-इसके आगे कहां ?
वहां से दिल्ली एन एस डी में सन् 1976 से 1979 तक रहा । फिर रंगमंडल में भी । लगभग 1986 तक दिल्ली में ही थियेटर किया । और देश विदेश में  जाकर नाटकों 
में अभिनय प्रदर्शन किया। 
-काॅलेज के दिनों में कौन से नाटक किये ?
-शुतुरमुर्ग और नीली आंखें बाकि इतिहास ! चंडीगढ़ में बलवंत गार्गी के निर्देशन में मिर्जा साहिबां और एम के रैना के निर्देशन में इससे का नाटक घोस्ट किया।
-मम्मी पापा ने रोका नहीं ?
-बिल्कुल रोका । पापा आईटीआई में थे तो यह कहते थे कि स्टैनोग्राफर का कोर्स करने सरकारी नौकरी कर लूं लेकिन मैंने वह कोर्स नहीं किया । 
-शादी और परिवार के बारे में ?
-पत्नी शशि युवराज भी एन एस डी से हैं और मूल रूप से कश्मीरी हैं ।  एन एस डी में मेरी सीनियर हैं तीन साल । तब तो नहीं लेकिन जब दोबारा सन् 1982 में एशियाड में मिले तो बात बन गयी । हमने शादी कर ली । अब एक बेटा है जो फोटोग्राफर और संगीतकार है । 
-क्या थियेटर से रोगी रोटी चल गयी ?
-हां ! मेरी तो चल गयी । कभी खाली नहीं रहा । दिल्ली के बड़े बड़े स्कूलों में थियेटर सिखाता रहा तीस पैंतीस साल !
-किसी धारावाहिक में काम किया ?
-जगदीश चंद्र के उपन्यास कबहूं न छाड़े खेत पर आधारित " ज़मीन " धारावाहिक में जिसे एम के रैना ने निर्देशित किया । दूसरा गुरबीर ग्रेवाल के निर्देशन में सीरियल " बसेरा " में ! 
-आगे क्या इरादा है ?
-आज तक थियेटर ही किया है और आगे भी थियेटर ही करना है !