समाचार विश्लेषण/हे अन्नदाता बनोगे भाग्य-विधाता?
-कमलेश भारतीय
अन्नदाता आंदोलनरत है और दिल्ली को सभी तरफ से घेर रखा है । वैसे अन्य राज्यों से दिल्ली आने के रास्तों पर खूब गतिरोध बनाये या खड़े किये गये पर किसान आंसू गैस और डंडों की मार के बीच दिल्ली पहुंच ही गये । वहां अपनी रसोई तक शुरू कर ली यानी लम्बे आंदोलन की तैयारी करके आए हैं । भाजपा और इसके समर्थकों को लगता है कि यह सब शाहीन बाग का दूसरा पार्ट है। यहाँ तक कि एक्ट्रेस कंगना रानौत को भी जिसकी समझ पर अब तरस आने लगा है । हर मामले पर ट्वीट करने की क्या मजबूरी है कंगना? इसीलिए पंजाबी एक्ट्रेस पीछे पड़ गयी कि बताओ किसान के बारे में क्या जानती हो ? अभी उर्मिला मातोंडकर कांग्रेस छोड़ शिवसेना में आ गयी कि चलो कुछ तो मिल रहा है । कांग्रेस के पास देने को ऐसे लाॅलीपाप भी तो नहीं बचे ।
किसान की बात करते हैं । इन फीके फिल्मी सितारों में क्या रखा है ? हां इतना जरूर पूछा जा रहा है कंगना से कि तुमने कितने पैसे लेकर किसानों के खिलाफ बयान दिया ? फजीहत करवाना कंगना की फितरत में शामिल होता जा रहा है । तीन कानूनों को रद्द करवाने निकले हैं दिल्ली और इधर हरियाणा सरकार पर असर पड़ने लगा है । सोमवार सांगवान ने समर्थन वापस ले लिया भाजपा सरकार से और पद भी छोड़ा । इनसे पहले हिसार के निवासी और बरनाला से जजपा विधायक जोगीराम सिहाग भी पद अस्वीकार कर चुके और किसानों को समर्थन देने की घोषणा कर चुके हैं । जजपा के अध्यक्ष अजय चौटाला भी कह रहे हैं कि लिखकर देने मे हर्ज़ क्या है ? असर हो रहा है धीरे धीरे । सरकार संभालने में पसीने छूटने लगेंगे यदि इसी तरह एक एक विधायक खिसकता रहा ।
दिल्ली के विज्ञान भवन में किसानों के साथ वार्ता का एक दौर हो चुका लेकिन नतीजा नहीं निकला । धरना, प्रदर्शन जारी है । सुना है वार्ता में गये किसान प्रतिनिधियों ने चाय तक नहीं पी । बाबा रामदेव कहा हैं? जब वे आंदोलन कर रहे थे तब बतायें उनके पीछे कौन था ? अन्ना हजारे जब रामलीला मैदान पर अनशन की लीला कर रहे थे तब उनके पीछे कौन था ? अब दोनों कहा हैं ? समाजसेवा का चाव उतर गया ? जनता सब समझने लगी है और समझ रही है । किसान का साथ कौन दे रहा है ? वे तो राजनेताओं को लौटा रहे हैं । तीन काले कानूनों से परेशान किसान तब तक नहीं जाने वाले जब तक पूरा फैसला नहीं हो जाता । सत्ताधारी नेता कह रहे हैं कि किसानों को भ्रमित किया जा रहा है और किसान कह रहे हैं कि हमें कोई भ्रम नहीं । अब किसका भ्रम टूटेगा?