सिलसिला 

(महिला दिवस पर डॉ रश्मि खुराना द्वारा `सिटी एयर न्यूज़' के लिए विशेष) 

सिलसिला 
डॉ रश्मि खुराना।

आर्ट वर्क: गरिमा धीमान।

सुनो लाडो 
माँ  कोई हाड़ मांस नहीं होती 
माँ  होती है एक भावना 
माँ  कोई दूर पास नहीं होती 
माँ  होती है एक प्रेरणा 
माँ कोई सवाल है न जवाब 
माँ  होती है चट्टान सा विश्वास 
माँ  कोई गिला शिकवा नहीं होती 
माँ  होती है बस प्यार 
माँ  है दुख तकलीफों से परे 
माँ होती है सुरक्षा का कवच 
आँखें उठा कहाँ ढूंढती हो मुझे 
मैं तो तुम्हारे अंदर हूँ 
तुम मुझमें हो मैं तुम में हूँ 
वादा करो तुम्हारी माँ हमेशा 
यूँ ही तुम में ज़िंदा रहेगी 
और तुम ये सिलसिला 
जारी रखोगी।

डॉ रश्मि खुराना के बारे में: 
डॉ रश्मि खुराना, डी।लिट्,आकाशवाणी से सहायक केंद्र निदेशक के रूप में सेवा-निवृत्त हैं। अपने 37 वर्ष के आकाशवाणी के सफर में इन्होने हिंदी,अंग्रेजी ,पंजाबी,व उर्दू भाषा के विभिन्न कार्यक्रमों का कुशल निर्देशन किया। क्षेत्रीय व राष्ट्रीय स्तर पर अनेक कार्यक्रमों की संरचना की। एक प्रसरणकर्मी और वक्ता के रूप में इनकी एक अलग पहचान है। जनसम्पर्क में आना विशेषतः नारी, वरिष्ठ नागरिक, युवा व बाल मन के विचारों और उनकी समस्याओं से ओत-प्रोत बात करने में डॉ रश्मि की विशेष रूचि रहती है। आज भी विभिन्न यूजीसी,यूनेस्को, अंतर्राष्ट्रीय व राष्ट्रीय सेमिनार में ये रिसोर्स-पर्सन के रूप में सक्रिय हैं। सेवानिवृत्ति के बाद डॉ रश्मि खुराना ने स्वयं को साहित्य के प्रति पूर्णतया समर्पित कर दिया है। उन्होंने हिंदी, पंजाबी व अंग्रेजी में लेखन-कार्य किया है, जिस में सुरभि /कहानी संग्रह (हिंदी); बात निकलेगी तो/  रेडियो संस्मरण (हिंदी); तीन बाल कहानी- संग्रह (अंग्रेजी) शामिल हैं। इसके अतिरिक्त कई पंजाबी पुस्तकों का हिंदी में अनुवाद भी कर चुकी हैं।