गुरु नानक देव विश्वविद्यालय, अमृतसर के हिंदी-विभाग विशेष व्याख्यान का आयोजन

गुरु नानक देव विश्वविद्यालय, अमृतसर के हिंदी-विभाग विशेष व्याख्यान का आयोजन

अमृतसर: 16 दिसंबर, 2024: गुरु नानक देव विश्वविद्यालय, अमृतसर के हिंदी-विभाग द्वारा 'राजभाषा हिंदी: संवैधानिक मन्तव्य और अंतर्विरोध' विषय पर विशेष व्याख्यान का आयोजन किया गया।

इस अवसर पर इलाहाबाद विश्वविद्यालय, प्रयागराज के हिंदी-विभाग में प्रोफ़ेसर बृजेश कुमार पाण्डेय जी मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित रहे। डॉ. बृजेश कुमार पाण्डेय ने विभिन्न संवैधानिक नियमों और उपबंधों के माध्यम से हिंदी की यात्रा और स्थिति पर बखूबी प्रकाश डाला। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि हिन्दी अब नयी प्रौद्योगिकी के रथ पर सवार होकर विश्वव्यापी बन रही है।देश में आजादी से पहले की बात करें तो आजादी के आंदोलन के लिए हिन्दी भाषा को चुना गया‌।इस कारण यह जन आन्दोलन बन पाया। हिन्दी तथा भारतीय भाषाओं में ज्ञानार्जन की सुविधा उपलब्ध करानी होगी।हमें प्रण लेना चाहिए कि हिन्दी के बारे में जो कहें,उसे करें भी। हिन्दी देश की तमाम बोलियों के बीच एकता का सूत्र है।अब हिन्दी ग्लोबल हिन्दी है।विश्व के लगभग हर हिस्से में हिंदी की उपस्थिति इसके विश्वव्यापी होने का प्रमाण है। हिन्दी हमेशा संघर्षों से खेलने वाली भाषा रही है।हिंदी केवल एक भाषा का नाम नहीं बल्कि वह जीवन-दर्शन है जिसे शाश्वत अमरता प्राप्त है।आज राजभाषा और जन भाषा के बीच के अंतर को कम करने की जरूरत है। लोक व्यवहार से भाषा बदलती रहती है।प्रशासनिक भाषा को सरल बनाने की दिशा में पहल करना समय की मांग है। वहीं शब्द सरल और बोधगम्य बन जाते हैं जो हमारी जुबां पर चढ़ जाते हैं। जो शब्द चलन में आ जाते हैं उनके स्थान पर नये शब्द गढ़ना समझदारी नहीं है। केंद्र सरकार के कार्यालयों में हिन्दी का अधिकाधिक उपयोग सुनिश्चित किया जाना चाहिए।हिन्दी के माध्यम से हम बेहतर जन सुविधाएं लोगों तक पहुंचा सकते हैं।


आज अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हिन्दी को एक नयी पहचान मिली है। हिन्दी तकनीक के रथ पर सवार होकर विश्व के साथ तेजी से कदमताल करते आगे बढ़ रही है।विश्व के हर हिस्से में हिंदी की सशक्त उपस्थिति इसकी लोकप्रियता का प्रमाण है ‌‌। हिन्दी आम आदमी की भाषा के रूप में देश की एकता का सूत्र है। वैश्वीकरण के दौर में, हिन्दी विश्व स्तर पर एक प्रभावशाली भाषा बनकर उभरी है। सूचना प्रौद्योगिकी में हिंदी का इस्तेमाल निरंतर बढ़ रहा है। सोशल मीडिया और संचार माध्यमों में हिंदी का बढ़ता प्रयोग सुखद है।भारत में लोगों के बीच संवाद का सबसे बेहतर माध्यम हिन्दी ही है। उम्मीद है कि हिन्दी को शीघ्र ही संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक भाषा का दर्जा भी मिल सकेगा‌। प्रोफेसर बृजेश कुमार पाण्डेय ने अपने गहन वक्तव्य के दौरान यथा अवसर काव्य पंक्तियों का प्रयोग करके शमां बांध दिया। 


मुख्य वक्ता का स्वागत करते हुए हिंदी-विभाग के अध्यक्ष और अधिष्ठाता, भाषा-संकाय प्रोफेसर सुनील ने हिंदी को संस्कारों की, मूल्यों की, शांति की, प्रेम की और जन-जन की भाषा बताया। उन्होंने कहा कि पूरा विश्व आज हिंदी की ओर एक अनोखी ललक के साथ देख रहा है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के यशस्वी उप-कुलपति प्रो.(डॉ.) करमजीत सिंह के कुशल नेतृत्व और प्रेरणा से इस व्याख्यान का आयोजन किया गया है। इस अवसर पर हिंदी-विभाग के सभी अध्यापकों डॉ. सपना शर्मा, डॉ. लवलीन कौर, मैडम पिंकी रानी दीक्षित व संगीत विभाग के अध्यक्ष डॉ. राजेश शर्मा सहित हिंदी-विभाग के सारे विद्यार्थी और शोधार्थी उपस्थित रहे।