लघुकथा /फासला
-अजी सुनते हो ?
-हूं , कहो ।
-आपकी बहन का संदेश आया है ।
-क्या ?
-वही पुराना राग गाया है ।
-यानी ?
-रक्षाबंधन का त्यौहार आ रहा है । आकर मिल जाओ ।
-अब शादी को इतने वर्ष हो गये । पर यह त्यौहारों पर आकर मिलने का संदेश अभी तक मिल रहा है ।
-चलो , जहां इतने वर्ष किया है , वहां इस वर्ष भी कुछ भेंट , उपहार दे आओ ।
-एक बात बताओगी ?
-पूछिए ।
-कभी हम अपनी बहन को मिलने बिना उपहार के गये हैं ?
-नहीं ।
- हम भाई-बहन दूर तो नहीं रहते पर उपहारों ने फासला इतना बढा दिया कि चाह कर भी मिलने नहीं जा सकते । कभी बहन का खुश चेहरा देख पाएंगे या यह हसरत ही रह जाएगी ?
-कमलेश भारतीय