लघुकथा: राजनीति
एक आदमी की दूसरे आदमी से लडाई हो गयी। बढते बढते बात हाथापायी तक आ गयी ।पहले आदमी के हाथ लाठी लग गयी । जिससे उसने दूसरे आदमी पर भरपूर वार किए । दूसरा आदमी घायल हो गया । छटपटाने लगा बुरी तरह ।
पहला भाग निकला । दूसरे ने हाय तौबा मचाई । आने जाने वालों से गुहार की मदद की ।आदमी और आदमियत के वास्ते दिए । रहम खाने की दुआ की लेकिन किसी के भी कान पर जूं नहीं रेंगी ।
आखिर वह पूरे जोर से चिल्लाया कि मैं दलित हूं । बस फिर क्या था । उसकी मदद के लिए आदमी तो क्या अनेक राजनैतिक पार्टियां आ गयीं । इससे पहले कि कोई घायल आदमी की दवा दारू का प्रबंध करती कि सभी ने उसकी सुरक्षा के दावे करने शुरू कर दिए । सभी पार्टियां एक से बढ कर एक दावे करने लगीं कि हमसे बढकर कोई इसकी हितैषी नहीं । बहस बढती गयी । इसी दौरान वह घायल आदमी दम तोड गया ।
राजनैतिक पार्टियों ने श्रद्धांजलि के पुष्षार्पित किए और चलती बनीं । बाद में आदमियों ने उसका अंतिम संस्कार किया ।फिर सरकार ने इस घटना की न्यायिक जांच के आदेश दे दिए ।
- कमलेश भारतीय