कविता / कौन कहता है /अश्विनी जेतली
कौन कहता है कि तन्हा हूँ मैं
उनकी यादें
उनके ख्याल
हर पल हर घड़ी
रहते हैं मेरे साथ
और बन गए हैं साथी
मेरी तन्हाई के
कौन कहता है कि उदास हूँ मैं
अब तो
जिस्म भी दो हैं
रूहें भी दो हैं मेरीं
और है उनका अहसास
बहुत ही खास
नहीं होने देता जो उदास
इन की वजह से
रब्ब की रज़ा से
उनकी कसम
भूल गया हूँ सारे ग़म
पी लिए हैं सारे अश्क
छुपा लीं हैं सीने में
सारी आहें
और सारे दर्द जुदाई के...!