कमलेश भारतीय की एक काव्य रचना 

कमलेश भारतीय की एक काव्य रचना 
कमलेश भारतीय।

तितली को अपना
काम करने दो 
कली को फूल बनने दो 
...
आंदोलन भी होंगे साहब 
लोकतंत्र को
जवान होने दो 
...
देखता तो रोज़ हूं
नकली चेहरे
एक बार सरेआम 
पहचान लेने दो 
...
हर कोई अपनी चाल में मस्त किसी दूसरे को गिराने में 
एक दिन अपने गड्ढे में 
गिरने दो ...
...
ज़िंदगी लिखते लिखते 
निकल चली 
जरा सा सच 
कह लेने दो ...