खुली आँख के सपने
ललित बेरी की एक खूबसूरत कविता
आर्ट वर्क- गरिमा धीमान।
खुली आँख के सपनों ने
मुझे सोने नहीं दिया
खेतों में किसान
सरहद पर जवान
नज़र आए
तो मेरे सपनों ने मुझे जगाया
आसमान में अब्दुल कलाम
पैट्रोल पम्प पर धीरू भाई
नज़र आए
तो मेरे सपनों ने मुझे जगाया
के एफ सी में कर्नल सैंडर्स
अमेरिका में अब्राहिम लिंकन
नज़र आए
तो मेरे सपनों ने मुझे जगाया
लाख ना चाहने पर भी उठा दिया
भाग्य की चाबी मुझे थमा दी
खुली आँखों के सपनों ने
मुझे सोने नहीं दिया।
-ललित बेरी ।