लघुकथा/सेलिब्रिटी/कमलेश भारतीय
अगर हम अपने आस पास देखें तो कई पात्र किसी सेलिब्रिटी से कम नज़र नहीं आएंगे
संवाददाता का काम है- सेलिब्रिटी को ढूंढ निकालना। सेलिब्रिटी क्या करता है, कैसे रहता है, कहां जा रहा है। सब कुछ मायने रखता है। संवाददाता की दौड़ इनके जीवन व दिनचर्या के आसपास लगी रहती है। पिछले कई वर्षों से इस क्षेत्र में हूं। सुबह उठते ही सेलिब्रिटीज का ध्यान करता घर के गेट के आगे खड़ा था। पडोस में बर्तन मांझते व सफाई करने वाली प्रेमा आई तो साथ में उसकी बेटी को देखकर थोड़ा हैरान होकर पूछा - कयों, आज इसके स्कूल में छुट्टी है क्या?
- नहीं तो। यह तो घरों में काम करने जा रही है।
- कयों? पढ़ाने का इरादा नहीं?
- मेरा तो इसे पढ़ाने का विचार है लेकिन इसने अपनी नानी के लिए पढ़ाई छोड दी। बर्तन मांझने का फैसला किया है।
- कयों बेटी, ऐसा किसलिए?
- नानी बीमार रहती है। मां के काम के पैसे से घर का गुजारा ही मुश्किल से होता है। नानी की दवाई के लिए पैसे कहां से आएं? मैं काम करूंगी तो नानी की दवाई आ जायेगी।
इतना कहते बेटी मां के साथ काम पर चली गई। मैंने मन ही मन इस सेलिब्रिटी के आगे सिर झुका दिया।