लघुकथा/व्यवहार

लघुकथा/व्यवहार

         मोटे पैकेज पर एक मल्टीनेशनल कंपनी में काम करने वाले उमा जी के बीमार बेटे को तीन दिन के अंदर ऑफिस ज्वाइन करने के लिये कहा गया था । वह यह  सोच कर परेशान हो रही थी कि बीमार अवस्था में उनका बेटा कैसे ट्रेन की यात्रा करेगा और ऑफिस में काम कर सकेगा । वह तो यह भी नहीं बोल सकती थी कि वह इस नौकरी को छोड़ दे।
      शाम को ऑफिस से लौटे उनके पति ने पूछा कि मुन्ना के जाने की तैयारी हो गयी है । 
 आपकी छुट्टी का क्या हुआ । 
चुनावों के चलते छुट्टी नहीं मिल पायी है । मुन्ना को अकेले जाना होगा ।
     अरे, अकेले कैसे जायेगा । 
तुम छुट्टी क्यों नहीं ले लेती । और फिर मुझसे अधिक तो तुम ही तो उसका ख्याल रखती आ रही हो । वह पिछले पांच साल से मुंबई में नौकरी कर रहा है लेकिन तुमने उसे अकेले कब रहने दिया है । 
चुनाव के चलते मुझे भी छुट्टी नहीं मिलेगी और सिसकने लगी। 
        अपने बच्चे की इतनी चिंता है और दूसरे के बच्चे के प्रति तुम इतनी कठोर कैसे हो सकती हो । उमा जी ने चौंकते हुये पू्छा ये क्या कह दिया आपने । 
       मुन्ना को तो ट्रेन में बैठ कर जाना है । न बाढ़ है न नदी है और न ही उसे बाढ़ के पानी में तैर कर बच्चों के साथ जाना है । तुम्हारे आफिस का पंकज भी तो किसी का मुन्ना है । तब तुम्हें समझ नहीं आयी थी क्या ।
         उमा जी अतीत में चली गयीं, जब उन्होंने पंकज को ऑफिशियल  नोटिस जारी कर उसके गांव से बुलवाया था, यह बोल कर कि उसे ऑफिस ज्वाइन करना है । वह कहता रहा कि मैडम । मेरे गांव में बाढ़ है । गांव को जिला मुख्यालय से जोड़ने वाला एकमात्र पुल बह गया है और अभी आने की स्थिति नहीं है क्योकि वह बुखार से पीड़ित है । 
    अहंकारी उमा जी ने पंकज को मुंह चिढाते हुये कहा था कि ये तो आपको सोचना है कि आपको नौकरी चाहिये या आराम । पंकज ने हाथ जोड़ कर आग्रह किया था कि मैडम कुछ दिन में बाढ़ का पानी निकल जायेगा तो उसे आसानी होगी और वह घर से काम तो कर ही रहा है । लेकिन उन्होंने उसकी एक नहीं सुनी थी । उनकी जिद की वजह से पंकज और उसकी पत्नी को गर्दन तक पानी में से निकल आना पड़ा था । उसने दोनों बच्चों को कंघे पर बिठा कर नदी पार किया था।
अभी पिछले महीने ही उमाजी के जन्मदिन के मौके पर ऑफिस के लोगों ने उमा जी को बधाई देते हुये एक स्वर में कहा था कि उनका व्यवहार बहुत शानदार है, और हमलोगों के प्रति जैसा भी उनका व्यवहार है ईश्वर उन्हें और उनके बच्चो को इसी व्यवहार से नवाजें । हालांकि, पंकज ने ऐसा नहीं कहा था । 
उमा जी की आंखों में आंसू थे । उन्हें याद आ रहा था- पंकज ने रिश्तेदार की हुयी मृत्यु का हवाला देकर छुट्टी ली थी, इसके बावजूद उसे मेमो भेजकर बुलवाया था और यहां आने पर मैने कह दिया कि वह घर से ही काम करे । पंकज ने दुखी होकर कहा था – मैडम जब घर से ही काम करना था तो मेमो देकर मुझे क्यों बुलवाया । मैं गांव से भी तो घर से ही काम कर रहा था । उमा जी कहा था – नियम का पालन करना ही होगा । 
-टी शशिरंजन
मोतीहारी
बिहार