कहानी: एक सूरजमुखी की अधूरी परिक्रमा/कमलेश भारतीय
वह दिन और दिनों जैसा ही था । अब दुर्घटना की याद हो आने पर वही दिन एक उदास दिन के रूप में याद आता है । मैं अपने काम में मगन था कि एकाएक छोटे भाई ने आकर सूचना क्या दी कि जैसे कोई वजनी पत्थर सिर पर दे मारा हो -विक्की की मम्मी ने मिट्टी का तेल छिड़क कर आत्महत्या कर ली ।
आंखें शून्य में घूरती रह गयीं , जैसे कोई तस्वीर धुंधली होते होते गायब हो गयी । छोटे भाई ने ही जगाया -आज शाम दाह संस्कार होगा । चलना हो तो चलिए । मैं भारी कदमों से विक्की की कोठी पहुंचा ।
सबके मुंह पर एक ही बात थी कि आखिर वही होकर रहा जिस बात का डर था । सबका अनुमान था कि विक्की के वियोग में उसकी मम्मी बहुत थोड़े दिन जी पायेगी । किसी ने यह नहीं सोचा था कि वह थोड़े बचे हुए दिन जीने से भी इंकार कर देगी । विक्की उसका इकलौता सपूत था विक्की ही उसकी दुनिया थी । बाइस बरस का बांका नौजवान । मम्मी की ममता का विराट रूप । देखती तो देखती ही रह जाती । कहीं नज़र न खा जाए किसी की । विक्की ने जहरीली दवा खाकर जान दे दी थी और अब उसकी मम्मी ने भी ।
तब भी छोटा भाई लपकते हुआ आया था और उसने बिना भूमिका के, एक ही सांस में सब कुछ कह डाला था-भैया , जल्दी अस्पताल चलो । विक्की ने जहर पी लिया है । डाॅक्टर शर्मा उसे देख रहे हैं । वे उस पर आत्महत्या का केस डाल रहे हैं । पहले तो आप उसे रहा दफा करवाइए । फिर उसकी खबर लीजिए । जल्दी चलिए । प्लीज ।
सबके छंट जाने पर डाॅक्टर शर्मा से मिला था और वे उस समय भी मज़ाक करने से बाज नहीं आए थे -आ गये पत्रकार महोदय । तुम लोग भी उस चंडाल से कम थोड़े हो जो शमशान में रोज़ मुर्दा लोगों की राह देखता है ताकि उसे अच्छी कमाई हो । और तुम भी,,,
-डाॅक्टर, यह मज़ाक का नहीं , दुख का समय है । मेरा मतलब उस केस से है जिसे अभी अभी लुधियाना रेफर किया है आपने ।
-दैट विक्की ? वह तो रास्ते में ही दम तोड़ देगा ।
-और उसकी आत्महत्या का केस?।
-वह तो बनाना ही पड़ेगा ।
-थैंक्स ।
इतना कहकर मैंने उनकी चाय की ऑफर भी अनसुनी कर दी और दुख के बोझ तले पीली रोशनी वाले बरामदे को पार कर बाहर निकल आया ।
विक्की की मां बौरा गयी थी और राह में ही अपने मायके में विक्की की लाश के संग उतर गयी थी ।
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दूसरे दिन मैंने समाचार को एक बार , दो बार , कई बार लिखा और हर बार फाडा । क्या यह मात्र इतना ही समाचार था कि एक नौजवान ने जहर पीकर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली ? निश्चय ही समाचार के आसपास एक रहस्य था जिस पर से पर्दा उठाना आवश्यक था ।
एक दिन विक्की के मामा हमारे घर आए और आग्रह किया कि विक्की की मम्मी शहर आ गयी है । हम सब चलें और विक्की की यादों के सहारे ज़िंदगी के कुछ पल उसे लौटा दें । यह कोई ऐसी इच्छा नहीं थी जिसे हम पूरा न कर पाते । उस शाम उदास रोशनियों में डूबी कोठी में हम उसकी मम्मी के पास पहुंच गये । विक्की की मम्मी कुछ ही दिनों में कई बरस आगे निकल गयी लगती थीं । आखों के नीचे काले काले धब्बे दिखाई देने लगे थे और कनपटी के करीब सफेद बाल ।
सबके बीच वह मुझसे मुखातिब हुई -आप क्या समझते हैं कि मेरे विक्की ने शौक से आत्महत्या की ? नहीं । बिल्कुल नहीं । उसे जीने का शौक था । अपनी ज़िंदगी अपने ढंग से जीने का शौक ।
-बाप को अपने इकलौते बेटे से क्या फिर हो सकता है ?
-मगर कोई बाप अपने बेटे को हराम की औलाद मानता हो तब ?
-ऐसा मानने का कोई कारण ?
-मेरी न ढलने वाली खूबसूरती । मेरी गोरी चिट्टी देह ।
-क्या कह रही हैं आप ? मेरे लिए तो यह घर एक सुखी परिवार का आदर्श रहा है । एक बेटा । कमा कर झोली में डाल देने वाला पति और वही घर ,,,,?
-हां । मुझे कहने दो । यह चिप्सों वाली कोठी मेरी और मेरे बेटे की आकांक्षाओं की खूबसूरत कब्र से बढ़कर कुछ भी नहीं । एक नारी की उम्र भर की कमाई को राख कर देने वाले राक्षस पति की कैद में मैंने बरसों गुजार दिए । मैं बहुत साल इस पहाड़ को अपनी छाती पर रखे जीती रही ।अब इसे हटा कर आराम से मरना चाहती हूं ।
-यह मरने का चक्कर छोड़िए । आप अपनी ज़िंदगी को सामाजिक कामों में लगाइए । अपनी रुचियां बदलिए । समाज के उपेक्षित ,,,,
-मेरे बेटे । अगर मुझे इतनी ही आज़ादी होती तो विक्की आत्महत्या न करता । आज मेरी यह हालत न होती । विक्की आत्महत्या के लिए मजबूर न होता और मेरी ज़िंदगी का सूरज न डूबता । मैं समाज की इकाई नहीं , आदमी की गुलाम हूं ।
उस शाम अंधेरे में डूबती सूरजमुखी को पहले बार देखा । सूरज के कत्ल के बाद कितनी उदास , अर्थहीन और लक्ष्यहीन हो जाती है ,,,उसी शाम जाना ।
विक्की के मामा के एक अंतरंग मित्र ने ऐसी ही एक मनहूस शाम के उतरते अंधेरे में बातों बातों में बताया था कि विक्की के पापा की शक्ल देखते ही उसे चिढ़ सी आ जाती है ,,,पता नहीं विक्की के नाना ने ऐसे फटीचर आदमी को कहां से ढूंढ निकाला । ऐसे आदमी को गोली से उड़ा देना चाहिए । सोने जैसी हमारी बहन को इस आदमी के पल्ले बांध दिया जिसे यही समझ नहीं कि औरत के लिए भी वक्त निकालना जरूरी है । सारी उम्र इस आदमी को मुर्गियां मारते रहने से फुरसत नहीं मिली । सबसे खूबसूरत लड़की इस चांडाल की झोली में डाल दी । अब विश्वास आया कि फौजी आदमी खब्ती होते हैं । ज़माना लड़के लड़की को दिखाये बिना या आपस में बात करने का मौका दिए बिना शादी का था । फौज से रिटायर पिता की बात कौन टाल सकता था ? उसने किसी की नहीं सुनी और हाथी जैसे दिमाग के आदमी के पांव तले मासूम कली मसली गयी ।
एक दिन बैठे बैठे वो ही बात छेड़ दी थी ।
-क्या विक्की का दोबारा जन्म नहीं हो सकता ? हो सकता है विक्की फिर इसी घर में लौट आए ?
-नहीं । कभी नहीं । बल्कि मैं चाहूंगी कि विक्की जहां कहीं जन्म ले , उसकी मां मर जाये ताकि उसे मालूम हो कि मां की ममता का मो क्या होता है ?
उन भावुक पलों में विक्की की मम्मी ने बताया था कि कैसे विक्की को अकेलापन महसूस नहीं होने दिया था । वे उसकी मां ही नहीं , बहन , दोस्त ,,,हर पल की राजदार बन गयीं थीं । एक बार तो विक्की के दोस्तों ने मां बेटे को घर में बच्चों की तरह कंचे खेलते और कंचों के लिए लड़ते झगड़ते तक देखा था ।
विक्की की मौत से एक परिवार , एक मां की ही कोख नहीं उजड़ी थी बल्कि उसकी मौत से समाज का भी नुकसान हुआ था । एक मां निर्माण करती है समाज का । समाज को मां की हर तड़प का , मां के हर आंसू का कारण खोजकर उसका समाधान और निदान करना चाहिए । विक्की की मम्मी के उद्गार उग्र रूप धारण कर गये जब उन्होंने कहा कि विक्की अगर जिंदा रहता तो उस पर आत्महत्या का केस चलता । मैं पूछती हूं कि अब उसके बाप से कोई क्यों नहीं पूछता कि तुमने अपने बेटे को क्यों मार डाला ?
-क्या आपको अच्छा लगेगा कि आपके पति कोर्ट कचहरी के कटघरे में खड़े हों ?
-सवाल पति और बेटे का नहीं । सवाल कानून का है । सवाल यह है कि एक आदमी ने समाज की निधि को मिट जाने के लिए मजबूर किया । उसे बार बार ऐसे ताने दिए कि वह जहरीली दवा पीने को मजबूर हो गया ।
-क्या विक्की जानता था कि उसके पिता उसे अपनी संतान नहीं मानते ?
-हां । मेरी ज़िंदगी की शुरूआत जिस संदेह से हुई थी , अंत तक वह संदेह भूत की तरह मेरा पीछा करता रहा । विक्की जानने लगा था । समझने लगा था । अपनी मां की हालत । इसलिए वह पोल्ट्री फाॅर्म पर नहीं जाता था । उसे मालूम हो चुका था कि उसका बाप वहां मुर्गियां को ही कत्ल नहीं करता बल्कि बहुत सी अबलाओं की इच्छाओं का कत्ल भी करता है । फाॅर्म को ऐशगाह बना रखा है । विक्की को अपने बाप से नफरत थी और यह नफरत उसे अपनी मां से घुट्टी में मिली थी । जिसकी मां ने सुहागरात को देखा हो कि उसका पति किसी रखैल के पास जाने के बाद उसके पास आया है , जिसने सुहागरात को ही आइना तोड़ दिया हो ,,,जिसकी खूबसूरती आसपास के गांवों में चर्चा का विषय हो ,,,वही अपनी खूबसूरती पर जार जार रोयी हो ,,,,उसका बेटा बाप से प्यार कैसे कर सकता है ?
-आत्महत्या का कारण भी,,,,?
- हां । आत्महत्या का कारण भी ऐसी ही घटना बनी । बाप बेटे में खुल्लमखुला लड़ाई छिड़ी थी , पर बीच में मैं एक नारी , दीवार बन कर खड़ी थी इतने बरसों से । इनके आरोप प्रत्यारोप सह रही थी । उस मनहूस घड़ी को टालने की भी भरपूर कोशिश की थी । वे मुझसे सोने की चूडियां मांग रहे थे और विक्की बीच में कूद पड़ा कि ये मेरी मां की चूडियां किसी पराई औरत की बाहों के लिए नहीं हैं । बस । उसी क्षण बाप मर गया और दुश्मन जिंदा हो गया । जो बात बेटे को नहीं कहनी चाहिए थी , वही कह दी । कोई भी बेटा अपनी मां की पवित्रता पर संदेह के धब्बे बर्दाश्त नहीं कर सकता । विक्की ने सारे सर्टिफिकेट्स फाड़ दिये , कपड़े जला डाले और बोला कि आज इस बात का फैसला होकर रहेगा कि कौन किसका बेटा है ? हराम की औलाद कहलाकर कर जीना मुझे मंजूर नहीं । मैं रसोई में मिट्टी का तेल संभालती रही कि कहीं वह अपने आपको न जला डाले । पर वह तीर की तेज़ी से बाहर निकल गया और लौटा तो मौत का पैगाम लेकर ।
मैंने पूछा -विक्की , यह तूने क्या किया ? मैं क्या करूंगी तेरे बगैर ?
उसने बड़े जिगरे से जवाब दिया-मां जो मैंने किया है । वही तू भी करना । इस राक्षस के पास मत रहना,,,,
-क्या विक्की के पिता के दिल में कोई पछतावा,,,,?
-न, न । बिल्कुल नहीं । वही रंग ढंग । वही कमाई । मैं पूछती हूं अब किसके लिए ? कहता है कि रोटी पानी के लिए । मैं कहती हूं कि भलेमानस , सारी उम्र लाखों कमाये । अब मेरे लिए वक्त निकाल । कहता है तू मेरे साथ फाॅर्म पर चल दिया कर ।
कभी कभी सोचती हूं कि विक्की के नाम पर बच्चों का स्कूल खोल दूं । पर फिर ख्याल आता है कि बच्चे पूछेंगे विक्की कौन था जिसकी याद में स्कूल खोला गया है ? वह विक्की कौन था ? कैसा था ? क्या जवाब दूंगी कि यह वह आदमी था, जिसने ज़िंदगी का सामना नहीं किया , जिसने मां के दूध का मोल नहीं चुकाया । जिसने मां की ममता का खून किया । क्या प्रेरणा ग्रहण करेंगे बच्चे ? नहीं । विक्की का इतिहास इस काबिल नहीं कि उसे बच्चों के सामने प्रेरणा के लिए दुहराया जा सके ।
उस शाम के बाद मैं फिर नहीं जा पाया था या जाकर विक्की की मम्मी का दुखांत सुनने की हिम्मत नहीं जुटा पाया था । और अब उसकी मम्मी की आत्महत्या की खबर ,,,,,
मन में एक तूफान उमड़ता है -गुस्से का । अब अगर विक्की की मम्मी सामने पड़ जाती तो उनसे पूछता -तुम जो अपनी कहानी बार बार लिखने का आग्रह करती रही और मरते दम तक संदेश भेजती रही और मरते वक्त एक पहाड़ मेरे दिल पर धर गयी । तुम्हीं बताओ कि तुम्हारी कहानी से किसी स्त्री को क्या प्रेरणा मिलेगी ? इसे लिखना क्यों जरूरी है ? बताओ ?
शायद वह औरत हार न मानती । मुस्कुराती हुई कहती -हां । मेरी कहानी लिखने की जरूरत है क्योंकि मेरी कहानी पढ़ने के बाद हर औरत अपनी किस्मत का फैसला अपने हाथों करना सीखेगी । मेरी कहानी जानने के बाद हर आदमी संदेह के भूत से मुक्त हो सकेगा ।
वह औरत जिस आदमी को अपने बेटे की आत्महत्या का दोषी ठहराये जाने से जरा भी कतराती नहीं थी , वही अपनी आत्महत्या के जुर्म से उसे मुक्त कैसे कर सकती थी ? जिस बैठक में छत पर लगी बिजली की ट्यूबलाइट तक बुरी तरह पिचकी हुई पाई गयी, उसी में वह कागज़ की चिट कैसे बची रह गयी? इस रहस्य को समझने में मैं एक पत्रकार होने के अनुभव से समर्थ तो हूं पर इसे व्यक्त करने में खुद को असमर्थ पाता हूं । शायद नारी अपने जीवन का अंत करके भी अपनी बात अलंबरदारों तक पहुंचाने में सफल नहीं हो सकती । इसीलिए विक्की की मम्मी संदेश देती रही कि मेरी कहानी जरूर लिखना।मैं उस सूरजमुखी की कहानी आपको पूरी की पूरी कहां से , कैसे सुना दूं जिसका सूरज शिखर दुपहरी में काले बादलों के पीछे डूब गया हो और जिसे अपनी परिक्रमा को अधूरा छोड़ , धरती में समा जाना ही सही हल लगा हो ,,,,,,