हिसार की बेटी, जिम्मेदार अधिकारी
- कमलेश भारतीय
- कमलेश! आपके शहर की लड़की वर्षा है जिसने प्रतियोगी परीक्षा एचपीएससी में टाॅप किया है । आज ही उसे ढूंढ़ कर तुरंत इंटरव्यू भेजो !
एक शाम चंडीगढ़ से 'दैनिक ट्रिब्यून' के संपादक नरेश कौशल का फोन आया और मेरी नयी परीक्षा शुरू हो गयी कि पहले घर ढूंढूं फिर वह लड़की और फिर इंटरव्यू ! हिसार सिटी केबल में सिटी समाचार के इंचार्ज युवा शशि नायर से फोन मिलाया और वह घर भी जानता था और वर्षा खनगवाल को भी । घर सेक्टर पंद्रह में बिल्कुल उन दिनों बहुत प्रभावशाली मंत्री प्रो संपत सिंह के ऐन पीछे था और शशि ने मुझे वहीं पहुंचने को कहा और खुद भी अपना ताम झम लेकर आ गया !
वर्षा खनगवाल के पिता थे और मां तो कुछ साल पहले ही दुनिया को अलविदा कह गयी थीं । पर बाप बेटी ने हमारा स्वागत् किया । मिठाई खिलाई और हमने भी इनकी खुशी मनाई, फोटोज खींचे और समयानुसार बातचीत की, जो दूसरे दिन समाचारपत्र में आ भी गयी। इसके बाद मैं अपनी खबरों की दुनिया में और वर्षा अपनी ऑफिसरी की दुनिया में खो गये ! वर्षा खनगवाल ने कहाँ ज्वाइन किया और कहाँ कहाँ रही, कुछ पता नहीं !
अचानक हरियाणा के तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने नवगठित 'हरियाणा ग्रंथ अकादमी का उपाध्यक्ष पद सौंपा और मैं मन मार कर पत्रकारिता छोड़ कर इस पद पर सन् 2011 में पंचकूला चला गया । वहाँ डाॅ कृष्ण कुमार खंडेलवाल ने 'सारिका' जैसी पत्रिका बनाने की चुनौती दी, तब प्रवेशांक के बाद ही एक बार श्री खंडेलवाल से मिलने सेक्टर आठ स्थित 'संवाद' केंद्र जाना हुआ और देखा कि वही वर्षा खनगवाल संवाद की इंचार्ज हैं और यहीं से एक बार फिर नये सिरे से परिचय की कड़ियाँ जुड़ गयीं और वर्षा खनगवाल के साहित्य के प्रति अनुराग का संकेत मिला, जिसे देखते हुए 'कथा समय' में इनके प्रेरक प्रसंग हर माह देने लगा और यहीं वर्षा खनगवाल के प्रभावशाली व्यक्तित्व और कार्यशैली को करीब से जानने का अवसर मिला !
ग्रंथ अकादमी का वह समय तो बीत गया लेकिन फिर वर्षा खनगवाल से सम्पर्क बना रहा । मैंने कहा कि जब आप हिसार आयें अपने पापा के पास तो बताना कोई छोटा सा कार्यक्रम रखेंगे और मज़ेदार बात कि एक दोपहर मैं मुख्य डाकघर के पास था कि हरियाणा सरकार की गाड़ी का हूटर सुना, अचानक नज़र गयी तो लगा जैसे उसमें वर्षा खनगवाल ही हैं। इतने में फोन की घंटी बजी और देखा कि फोन वर्षा का ही था ! बता रही थीं कि अभी आपको देखा पोस्ट ऑफिस के पास । अभी तो किसी इंक्वायरी पर जाना है शाम को मिलेंगे घर पर सात बजे !
इस तरह मैं सपरिवार सेक्टर पंद्रह गया और अपनी नयी कथा कृति दी । खूब समय बातें कीं और इनका कार्यक्रम पास ही रेयाज अकादमी में रखा । बड़ा ही मोटिवेशनल लेक्चर जो युवाओं को प्रतियोगी परीक्षाओं के टिप्स दे गया !
फिर वे अकेले पड़ गये अपने पापा को अपने साथ ही पंचकूला ले गयीं और सेक्टर पंद्रह का आवास अब खाली है और वर्षा के आने की कोई वजह ही नहीं रही । इसलिए मैं ही जब चंडीगढ़ जाता हूँ तो मिलने की कोशिश रहती है और वे काफी व्यस्त भी रहीं क्योंकि वे मुख्यमंत्री प्रकोष्ठ में तैनात रहीं और आईटी का काम इनकी जिम्मेदारी थी । इस बीच वर्षा की अंग्रेज़ी में लिखी कविताओं की पुस्तक भी आई और वे इंस्ट्राग्राम पर बहुत ही खूबसूरत फोटोज पोस्ट करती हैं यानी यात्रा के बीच मोबाइल फोटोग्राफी चलती रहती है। मुख्यमंत्री प्रकोष्ठ से वे पंचकूला की अतिरिक्त उपायुक्त बनीं और आज जब बात हुई तो पता चला कि वे आजकल पंचकूला में हूड्डा की प्रशासिका के पद पर हैं और मेरी हर किताब की अच्छी पाठिका भी हैं!
यह शानदार यात्रा है वर्षा खनगवाल की, जो निरंतर साहित्य और फोटोग्राफी में भी सक्रिय हैं और अपने कार्यभार के प्रति सदैव समर्पित !