कब तक पान गुटखा खिलाते रहेंगे आप ? 

कब तक पान गुटखा खिलाते रहेंगे आप ? 

-*कमलेश भारतीय
आजकल आईपीएल यानी इंडियन पैसा लीग देखने का मौका मिल रहा है और क्रिकेटरों के मज़ेदार स्ट्रोक्स देखने का लुत्फ भी उठा रहे हैं, लोग । विस्फोटक बल्लेबाजी देखने को मिल रही है तो धोनी की विकेट के पीछे चीते सी फुर्ती भी कमाल की है । विराट कोहली भी अपने रंग में आ चुके हैं तो शिखर धवन ने भी आईपीएल में डेढ़ सौ छक्के मारने का रिकाॅर्ड बना दिया है। कुछ और नये रिकाॅर्ड बनेंगे और कुछ पुराने रिकाॅर्ड टूटेंगे! 
एक रिकाॅर्ड कायम है आईपीएल में और वह  है कलाकारों और क्रिकेटरों द्वारा पान गुटखे के विज्ञापन, जो सारा मूड खराब कर देते हैं । ‌जब देखो, रोमांचक मैच के बीच कभी सुनील गावस्कर और वीरेंद्र सहवाग तो कभी अजय देवगन और शाहरुख़ खान पान गुटखे का विज्ञापन करते दिखाई देते हैं । न जाने कितनी बड़ी संख्या में युवा पीढ़ी ये आईपीएल के मैच रात रात भर जाग कर देखती है और उसे कैसे चुपचाप पान गुटखे की ओर धकेलने ये क्रिकेटर और कलाकार चले आते हैं, जैसे साइलेंट किलर ! कया दे रहे हो सुनील गावस्कर और मुलतान के सुल्तान आप युवा पीढ़ी को? सुनील गावस्कर के बारे में सुना है कि एक टोपी निर्माता कंपनी का मालिक इनके पास आया और आग्रह किया कि यह मेरी कंपनी की टोपी पहन कर आप मैच में जाना ! इस पर सुनील गावस्कर ने टोपी लौटाते हुए कहा कि मुफ्त में विज्ञापन नहीं करता ! यह बात साबित भी कर दी जब पान गुटखे का विज्ञापन करने लगे और अच्छे खासे पैसे लेकर ! अब क्या आपके पास पैसे की कमी है, जो आप युवा पीढ़ी को पान गुटखे की ओर धकेलने वाले विज्ञापन कर रहे हो ? क्या आप युवाओं के आईकाॅन बनने लायक रह गये हो ? अजय देवगन का 'सिंघम' में जो अपराधी के प्रति गुस्सा है, वह उन्हें श्रेष्ठ अभिनेता साबित करता है लेकिन यही गुस्सा पान गुटखे का विज्ञापन करते समय क्यों नहीं आता सिंघम को ? सदी के महानायक भी ऐसे विज्ञापन करते दिखाई दे जाते थे लेकिन आलोचना होने पर पीछे हट गये और तौबा कर ली, ऐसे विज्ञापनों से ! सिर्फ एक ही उदाहरण सामने आता है कि जब बैडमिंटन चैंपियन गोपीचंद फुलेला ने टाॅप पर रहते किसी शराब कंपनी के ऑफर का विज्ञापन करने से ठुकरा दिया था । गोपीचंद को सैल्यूट ! क्या फिल्मी सितारों के पास पैसे की कमी है? फिर वे कुछ पैसों के लिए युवाओं के लिए ये कैसे रास्ते दिखा रहे हैं ? कलाकार हों या क्रिकेटर, दोनों युवाओं के आईकाॅन होते हैं और इनसे अच्छे उदाहरण और आचरण की उम्मीद की जाती है । सुनील दत्त जैसे अभिनेता सरहद पर जाकर सैनिकों का मनोरंजन करते थे । आप वैसा नहीं कर सकते तो कम से कम पान गुटखे के विज्ञापनों से तो तौबा कर ही सकते हो ! क्या संदेश जा रहा है ऐसे विज्ञापनों से, यह तो आप भी समझते हो ! 
कृपया युवा पीढ़ी को अच्छा रास्ता दिखाइये। 
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी।