कितनी सामाजिक लड़ाइयां हैं जो लड़नी हैं बाकी: रणबीर सिंह दहिया
-कमलेश भारतीय
कितनी सामाजिक लड़ाइयां हैं जो लड़नी बाकी हैं । मैं तो पानीपत में अशिक्षा के खिलाफ चौथी लड़ाई लड़ने गया था कि देखा और कितनी सामाजिक बुराइयां हैं जिनकी लडाइयां बाकी हैं । यह कहना है रोहतक के पीजीआई से स्वेच्छा से जनरल सर्जन पद से वीआरएस लेने वाले डाॅ रणबीर सिंह दहिया का । सन् 1999 में जब मेरी बेटी रश्मि पीजीआई रोहतक में उपचार के लिए तीन माह तक दाखिल रही तब इंद्रजीत सिंह , जगमति सांगवान ने इनसे परिचय करवाया । एक सहृदय डाॅक्टर कब सामाजिक लड़ाइयों से लड़ने लगा , पता ही नहीं चला । मूल रूप से बरौना गांव निवासी डाॅ रणबीर ने रोहतक के मेडिकल काॅलेज से ही डाॅक्टर की डिग्री ली और यहीं सन् 2014 तक जनरल सर्जन के तौर पर अपनी सेवायें देकर सीनियर प्रोफेसर के पद से रिटायर हुए । इन दिनों वे हरियाणा ज्ञान विज्ञान समिति के प्रदेश अध्यक्ष हैं ।
-सबसे पहले किस मंच से जुड़े?
-हरियाणा जनवादी सांस्कृतिक मंच से । सन् 1983 में । हालांकि छात्र रहते भी स्टूडेंट्स एसोसिएशन में सक्रिय रहा । मेडिकल काॅलेज का श्रेष्ठ एथलीट भी रहा ।
- कैसे आए आप सामाजिक संगठनों में ? किसकी प्रेरणा रही ?
-मैं हरियाणा स्टेट मेडिकल टीचर्ज एसोसिएशन का पहले जनरल सेक्रेटरी और बाद में अध्यक्ष रहा ।एक बार चंडीगढ़ हमारा विरोध प्रदर्शन चल रहा था तब वामपंथी नेता पृथ्वी सिंह गोरखपुरिया आए और उनके व्यक्तित्व व विचारों ने बहुत प्रभावित किया । बस । तब से जुड़ गया ।
-मेडिकल काॅलेज में सर्जरी करते करते समाज की सर्जरी क्यों करने लगे ?
-देखा कि समाज में बहुत कमियां हैं -अशिक्षा , जात पात, आर्थिक असमानता और पूरा ढांचा अस्त-व्यस्त । हरियाणा विज्ञान मंच से लोगों में वैज्ञानिक मानसिकता पैदा करने के अभियान में पता लगा बहुत लोग निरक्षर हैं इन्हें विज्ञान कैसे समझ सकते हैं , तो साक्षरता अभियान चलाया और पानीपत गये थे अनपढ़ता के खिलाफ लड़ने । पहले शिक्षा होनी चाहिए । तभी विज्ञान की बात हो सकती है । गांव गांव घूमे तो और भी कई सामाजिक विषमताओं का पता चला। फिर समझ आया कि इको फ्रेंडली और जेंडर फ्रेंडली होना पड़ेगा समाज को ।
-सुना है आप अब भी डाॅक्टरी करते हैं?
-ठीक सुना है । जन स्वास्थ्य अभियान हरियाणा के बैनर से हम मंगलवार और शुक्रवार किशनपुरे की चौपाल पर तीन घंटे मुफ्त देखते हैं गरीब रोगियों को और हुमायूंपुर में भी मंगलवार को 1 से 3 बजे दो घंटे जाते हैं । 2 दिसम्बर 2020 से 30 अप्रैल 2021 तक टिकरी बॉर्डर पर भी रोजाना 4 घण्टे के लिए फ्री हेल्थ कैम्प आयोजित किया गया ।
-क्या लेखन भी करते हैं ?
-जी । मेरा एक कथा संग्रह है जिसका नाम है -पोस्टमार्टम और एक उपन्यास -मलवे के नीचे जो मेडिकल अस्पताल के अनुभवों पर आधारित है । लगभग साढ़े तीन सौ रागनियां भी लिखी है जो हमारे कार्यक्रमों में गाई जाती हैं ।
-क्या लक्ष्य है ?
-जागरूकता फैलाना ही मेरा और ज्ञान विज्ञान समिति का । नारी का घूंघट अभी हटा नहीं , सामाजिक न्याय अभी मिला नहीं , ऑनर किलिंग ने हरियाणा छोड़ा नहीं । कितनी लड़ाइयां बाकी हैं। तब तक लड़ाई जारी है ।
हमारी शुभकामनाएं डाॅ रणबीर सिंह दहिया को ।