लड़कियों को आगे बढ़ने में मदद कर सकूं: अर्चना ठकराल 

लड़कियों को आगे बढ़ने में मदद कर सकूं: अर्चना ठकराल 
अर्चना ठकराल।

-कमलेश भारतीय 
लड़कियों को जीवन में आगे बढ़ने में मदद कर सकूं और इतनी आत्मनिर्भर बना दूं कि उन्हें किसी के आगे हाथ न फैलाने पड़ें । यही इच्छा, यही लक्ष्य है मेरा और हमारी संस्था अनुभूति का । यह कहना है संस्था अनुभूति की संचालिका अर्चना ठकराल का । अर्चना के पिता प्रो टी सी मदान डीएन काॅलेज में बायोलोजी के प्रोफेसर थे तो अर्चना ने डीएन काॅलेज से ही बी काॅम की । इसके बाद हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से एम काॅम । फिर सन् 1994 में इनकी शादी मंगलम् प्रिंटिंग प्रेस संचालक विकास ठकराल से हुई और कोई नौकरी न ढूंढ कर प्रेस में मदद करनी शुरू की । इनके ससुर ओम प्रकाश ठकराल संत बुधला मंदिर के सचिव और समाजसेवी थे और समाजसेवा की प्रेरणा उन्हीं से मिली । इस तरह सात साल पहले अनुभूति संस्था बनाई ।

-काॅलेज में रहते कौन सी गतिविधि में हिस्सा लिया ?
-राजनीति में । मैं अपनी क्लास की सी आर यानी कक्षा प्रतिनिधि चुनी गयी थी ।
-अनुभूति संस्था कब से?
-सात साल से चला रहे हैं मिल कर । 
-क्या उद्देश्य ?
-स्लम एरिया के बच्चों को पढ़ाना और पाठ्य सामग्री उपलब्ध करवाना ताकि इसकी कभी से पढ़ाई न छोड़ें । 
-और काम ?
-पौधारोपण भी करवाते और करते हैं । उतना ही पौधारोपण जिनकी संभाल कर सकें ।
-परिवार?
-पति विकास ठकराल प्रिंटिंग प्रेस चलाते हैं । मेरे दो बेटे हैं जो कनाडा रहते हैं । मैं अपना समय समाजसेवा को अर्पित कर रही हूं ।
-और क्या शौक हैं आपके ?
-बागवानी , खाना बनाना और शेर ओ शायरी लिखना ।
-आगे क्या लक्ष्य ?
- लड़कियों को आगे बढ़ाना ताकि वे आत्मनिर्भर बन सकें । उन्हें किसी के सामने हाथ न फैलाने पड़ें । 
हमारी शुभकामनाएं अर्चना ठकराल को ।