संगीत, नृत्य और एक्सरसाइज के साथ दस बिल्लियां, परिवार की सदस्य हैं - कुल 13 का परिवार है मेरा: ऋतु सिंह
दिल्ली की रंगकर्मी ऋतु सिंह के साथ कमलेश भारतीय की इंटरव्यू
-कमलेश भारतीय
कोरोना के लाॅकडाउन के दिनों , मैं संगीत , नृत्य और एक्सरसाइज़ के साथ, पालतू दस बिल्लियों से खेलकूद व सेवा करके काट रही हूं, बड़े मज़े में । यह कहना है दिल्ली की रंगकर्मी और दादा लखमीचंद की टीम से जुड़ी ऋतु सिंह का जो मूल रूप से तो यू पी के बुलंदशहर की निवासी हैं और दिल्ली के जीसस एंड मेरी काॅलेज से पढ़ी हैं। दिल्ली के प्रसिद्ध रंगकर्मी व निर्देशक अरविंद गौड़ की शिष्या हैं। उन्ही के अस्मिता थियेटर ग्रुप के साथ जुड़ी हुई हैं ।
-आपने बताया कि दस बिल्लियों आपके परिवार का हिस्सा हैं । क्या शादी हो चुकी है ?
- जी बिल्कुल, हुजूर! मेरे पति मनोज राणा ऑटोमोबाइल इंजीनियर हैं । हमारा सत्रह वर्षीय बेटा तरंग जमा दो में पढ़ता है। मैं जरूरतमंद मनुष्यों व निराश्रित जानवरों की देखभाल काफी समय से करती आई हूं, लॉकड़ाऊं के वक़्त मैं इनका, ये मेरा सहारा बने हुए हैं। बिल्लियां बहुत नाज़ुक होती हैं, 17 बिल्लियों में से मेरे पास सिर्फ दस रह गई है। इनकी सेवा में, खुश रहती हूं!
-अरविंद गौड़ के अस्मिता थियेटर ग्रुप के साथ कब से जुड़ीं ?
- जुड़ी पांच सालों से हूं, दो साल थिएटर करते हुए।
-पहले क्या करती थीं?
-आप हैरान हो जायेंगे । पहले मैं फर्नीचर डिजाइनर व इंटीरियर डेकोरेटर थी। अठारह साल, यह काम किया। सलमान खान की मम्मी सलमा की पसंद का फर्नीचर भी बना कर दिया । राजकपूर साहब की बेटी ऋतु नंदा, इंटरियर डिजाइनर थीं,उनके लिए भी फर्नीचर बनाया 18 साल पहले। पूर्व लोकसभा सांसद श्री शिवाजीराव अढलराव पाटिल का, लोदी एस्टेट,दिल्ली का सारा फर्नीचर डिजाइन कर पर्सनल टच दिया! बहुत सी चर्चित हस्तियों का फर्नीचर डिजाइन किया,अब नाम तक ज़हन में नहीं।
फर्नीचर - इंटरियोर में, मेरे मित्र श्री भरत गुलाटी व उनके पिताजी,मेरी रीढ़ की हड्डी बने रहे।
आज भी ।
-यह शौक कैसे ?
-बाहर काम करने का अपना मज़ा है। दिल्ली में बाकायदा काम सीखा। वुडमार्त , ग्रीनपार्क से सफर शुरू हुआ, सिर्फ छह महीने काम सीखा - उसके बाद ' वुड वंडर्स ' मित्र भरत गुलाटी की कंपनी के साथ जुड़े 18 वर्ष हुए और मेरी कंपनी तरंग डिजाइनर वर्ल्ड आज भी कार्यरत हैं। आई टी सी कंपनी की वेंडर रही हूं। दिल्ली की अधिकतर पान की दुकानों की सजावट ,हमारी फैक्टरी से बनकर पहुंची हैं।
-फिर थियेटर में कैसे ?
-सोचा कुछ नया किया जाए इस बार ।
-क्या क्या किया अस्मिता थियेटर ग्रुप से जुड़ कर ?
- मुंशी प्रेमचंद , रवीन्द्रनाथ टैगोर,भीष्म साहनी की कहानियों व पाश की कविताओं पर नाटक किए। श्री अरविन्द गौड़ द्वारा लिखित व निर्देशित,सामाजिक समस्याओं पर आधारित नुक्कड़ नाटक किए - दस्तक, बुढ़ापा,वो दिन,करप्शन,मौसम, मर्द,कूड़ा - कचरा, पहचान, बाल व्यापार, हटके - बचके, भ्रष्टाचार, ज़िन्दगी, गली - गाली जाकर , छोटी छोटी बस्तियों में किया।
-प्रिय एक्ट्रेस?
- दीपिका पादुकोण ।
दादा लखमीचंद में क्या किया है ?
-फिल्म मेकिंग में एसिस्ट किया है । फोटोग्राफी तक में भी ।
-क्या क्या शौक हैं ?
-म्यूजिक, डांस , एक्सरसाइज़ के साथ ड्राइविंग और सिंगिंग भी ।
-प्रिय गायिका कौन ?
-लता मंगेशकर जी ।
-कैसी कोशिश लगी यशपाल शर्मा की दादा लखमीचंद बनाने की ?
-डायरेक्शन में कमाल हैं यशपाल जी । एक एक कलाकार को,डाइलोग के साथ एक्टिंग करके दिखाते हैं कि मुझे ऐसी अदाकारी चाहिए । बेहतरीन एक्टर होने साथ एक बेहतरीन इंसान भी हैं।
-और क्या लाॅकडाउन में ?
-घर के कभी खत्म न होने वाले, काम करती रहती हूं ।