तितलियों और जुगनू की तरह आते हैं नये आइडिया
नये विचार तितलियों और जुगनुओं की तरह चंचल होते हैं, जो एक पल के लिए दिमाग में आते हैं और पलक झपकते ही गायब हो सकते हैं। यदि सजग रहकर नये विचारों पर ध्यान दिया जाये तो नये स्टार्टअप की नींव रखी जा सकती है और हमारे रोजमर्रा जीवन की अनेक समस्याओं के अभिनव समाधान खोजे जा सकते हैं।
हाल ही में मुझे नयी सोच और उद्यमिता से जुड़ी एक महत्वपूर्ण चर्चा में भाग लेने का अवसर मिला। कार्यक्रम का आयोजन मेरठ कॉलेज द्वारा किया गया था। भारत सरकार के इनोवेशन वीक के तहत आयोजित इस कार्यक्रम में प्रोफेसर नीरज कुमार ने इस बात पर जोर दिया कि संभावनाएं हर क्षेत्र में मौजूद हैं और युवाओं को उद्यमी बनने की दिशा में प्रयास करने चाहिए। मेरा तो शुरू से ही यही मानना है कि नये विचार तितलियों और जुगनुओं की तरह चंचल होते हैं, जो एक पल के लिए दिमाग में आते हैं और पलक झपकते ही गायब हो सकते हैं। यदि सजग रहकर नये विचारों पर ध्यान दिया जाये तो नये स्टार्टअप की नींव रखी जा सकती है और हमारे रोजमर्रा जीवन की अनेक समस्याओं के अभिनव समाधान खोजे जा सकते हैं। चर्चा में भाग लेते हुए, होम टैक्सटाइल एक्सपोर्टर्स वेलफेयर एसोसिएशन (हेवा) के संस्थापक अनंत श्रीवास्तव और निदेशक विकास सिंह चौहान ने कहा कि जरूरी नहीं कि विज्ञान, प्रौद्योगिकी, गणित और इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाले छात्र ही इनोवेशन करें, किसी भी विषय के छात्र नयी सोच के साथ उद्यमी बन सकते हैं। भारत सरकार ने 16 जनवरी को राष्ट्रीय स्टार्टअप दिवस घोषित किया है और स्टार्टअप्स को नये भारत की रीढ़ माना है।
भारत में इस समय 60,000 से अधिक स्टार्टअप हैं। केंद्र सरकार नये भारत के सपने को साकार करने के लिए नयी सोच, नवोन्मेष और उद्यमिता पर बहुत अधिक जोर दे रही है। युवाओं को आर्थिक और वैचारिक दोनों तरह से प्रोत्साहित किया जा रहा है, ताकि वे अपने प्रोजेक्ट लगा कर अधिक से अधिक नौजवानों को रोजगार दे सकें और देश के समक्ष मौजूद समस्याओं के स्वदेशी समाधान प्रस्तुत कर सकें। आंकड़ों पर गौर करें तो फर्क साफ नजर आने लगा है, जैसे कि वर्ष 2013-14 में 4 हजार पेटेंट की तुलना में पिछले साल 28 हजार पेटेंट दिये गये, और 70 हजार ट्रेडमार्क रजिस्ट्रेशन के मुकाबले, ढाई लाख ट्रेडमार्क रजिस्टर किये गये। ग्लोबल इनोवेशन रैंकिंग में भारत की पोजीशन बेहतर हो रही है, क्योंकि देश में इनोवेशन पर जोर दिया जा रहा है। छह साल पहले भारत इस सूची में 81वें स्थान पर था और अब यह 46वें स्थान पर है। स्टार्टअप गेम चेंजर साबित हो रहे हैं।
भारतीय स्टार्टअप्स ने 2021 में 42 अरब डॉलर जुटाये, जो 2020 के 11.5 अरब डॉलर से अधिक है। भारत के टॉप स्टार्टअप्स में शेयरचैट, क्रेड, मीशो, नज़ारा, मोग्लिक्स, एमपीएल, ग्रोफर्स (ब्लिंकिट), अपग्रेड, मामाअर्थ, ग्लोबलबीज, एको और स्पिनी प्रमुख हैं। देश में कृषि, पर्यटन, मानसिक स्वास्थ्य, स्वास्थ्य सेवाओं आदि के क्षेत्र में नयी सोच और बेहतर समाधानों की जरूरत है। प्रधानमंत्री की मानें तो भारत के स्टार्टअप्स का स्वर्ण युग अब शुरू हो रहा है। भारत के 625 जिलों में से प्रत्येक में कम से कम एक स्टार्टअप है। आधे से अधिक स्टार्टअप छोटे और मंझोले शहरों से वास्ता रखते हैं। देश की आधी आबादी ऑनलाइन है, इसलिए स्टार्टअप्स को गांवों पर फोकस करना चाहिए। गांवों में रहने वाले लोगों और युवाओं की आकांक्षाएं बढ़ रही हैं और ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्र विस्तार की एक नयी लहर की प्रतीक्षा कर रहे हैं। आज जरूरत इस बात की है कि युवा नयी तरह से सोचें और मौजूदा समस्याओं के नये नये समाधान प्रस्तुत करें। नये भारत के निर्माण में युवाओं के नये विचार काम आयेंगे।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार व कॉलमिस्ट हैं)