लोकतंत्र में राजभाषा आम आदमी के लिए बोधगम्य होनी चाहिए: डॉ.सुनील कुमार
अमृतसर: सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय,भारत सरकार द्वारा एक दिवसीय राष्ट्रीय हिन्दी कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसमें गुरु नानक देव विश्वविद्यालय, अमृतसर के हिन्दी विभाग के एसोसिएट प्रोफ़ेसर डॉ. सुनील कुमार ने बतौर मुख्य वक्ता अपना विशेष व्याख्यान दिया।
डॉ. सुनील कुमार ने कहा कि आज राजभाषा और जन भाषा के बीच के अंतर को कम करने की जरूरत है। लोक व्यवहार से भाषा बदलती रहती है।प्रशासनिक भाषा को सरल बनाने की दिशा में पहल करना समय की मांग है। वहीं शब्द सरल और बोधगम्य बन जाते हैं जो हमारी जुबां पर चढ़ जाते हैं। जो शब्द चलन में आ जाते हैं उनके स्थान पर नये शब्द गढ़ना समझदारी नहीं है। केंद्र सरकार के कार्यालयों में हिन्दी का अधिकाधिक उपयोग सुनिश्चित किया जाना चाहिए।हिन्दी के माध्यम से हम बेहतर जन सुविधाएं लोगों तक पहुंचा सकते हैं। आज अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हिन्दी को एक नयी पहचान मिली है। हिन्दी तकनीक के रथ पर सवार होकर विश्व के साथ तेजी से कदमताल करते आगे बढ़ रही है।विश्व के हर हिस्से में हिंदी की सशक्त उपस्थिति इसकी लोकप्रियता का प्रमाण है । हिन्दी आम आदमी की भाषा के रूप में देश की एकता का सूत्र है। वैश्वीकरण के दौर में, हिन्दी विश्व स्तर पर एक प्रभावशाली भाषा बनकर उभरी है । सूचना प्रौद्योगिकी में हिंदी का इस्तेमाल निरंतर बढ़ रहा है। सोशल मीडिया और संचार माध्यमों में हिंदी का बढ़ता प्रयोग सुखद है।भारत में लोगों के बीच संवाद का सबसे बेहतर माध्यम हिन्दी ही है। उम्मीद है कि हिन्दी को शीघ्र ही संयुक्त राष्ट्र की आधिकारिक भाषा का दर्जा भी मिल सकेगा।
डॉ.सुनील कुमार ने हिन्दी की राजभाषा के रूप में यात्रा की पृष्ठभूमि पर भी विस्तार से प्रकाश डाला।
इस अवसर पर राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय के अधिकारी और कर्मचारी उपस्थित थे।