समाचार विश्लेषण/हरियाणा प्रदेश कांग्रेस नेताओं में बढ़ती तकरार
-*कमलेश भारतीय
हरियाणा प्रदेश कांग्रेस नेताओं में तकरार दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है और आम जनता ही नहीं दूसरी पार्टियों के लोग इनके मज़े ले रहे हैं । पहले तो थोड़ी लुका छिपी का खेल चल रहा था पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा व प्रतिपक्ष नेता व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सैलजा के बीच में लेकिन अब नौकरियों की बेच खरीद के मामले को लेकर यह खुलेआम होने लगा है । एक दूसरे का विरोध । जब से ब्रीफकेस में बंद नौकरियों का मामला उठा तब से यह विरोध भी खुलकर सामने आने लगा है । राज्यसभा सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने युवा कांग्रेस के नव निर्वाचित प्रदेश अध्यक्ष के साथ पंचकूला में प्रदेश कांग्रेस से पहले प्रदर्शन क्या कर दिया कि नाराजगी खुल कर सामने आ गयी । कल सैलजा ने प्रदेश कांग्रेस की ओर से प्रदर्शन किया तो हुड्डा के नेतृत्व में विधायकों ने राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा इसी मामले पर । यानी हुड्डा इस प्रदर्शन में शामिल नहीं हुए तो सवाल पूछा गया दोनों नेताओं से । जहां सैलजा का रुखा सा जवाब था कि कोई आए या न आए प्रदेश कांग्रेस के कार्यक्रम चलते रहेंगे । दूसरी ओर पूर्व मुख्यमंत्री हुड्डा ने कहा कि मैं दस साल तक मुख्यमंत्री रहा प्रदेश का तो क्या क्लर्कों का घेराव करूंगा ? हां , राज्यपाल या मुख्यमंत्री के सामने धरना प्रदर्शन करेंगे तो शामिल हो सकता हूं ।
इधर दो नेता सामने एकसाथ सामने आकर सबको चौंका गये और वे हैं पूर्व मंत्री किरण चौधरी और कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला । इस तरह लगता है कि दो नहीं बल्कि तीन तीन गुटों में बंटती जा रही है हरियाणा प्रदेश कांग्रेस । यही क्यों आदमपुर से विधायक कुलदीप बिश्नोई कांग्रेस के किसी भी कार्यक्रम या नेताओं से एक समान दूरी बनाये हुए हैं । दो एक साल पूर्व वे भूपेंद्र सिंह हुड्डा के निकट आते दिखे थे जब लोहड़ी के पर्व पर भी उनके आवास पर गये थे लेकिन फिर कदम वापस खींच लिये । इस तरह वे अलग ही डफली बजाते दिखते हैं और अलग अलग ही रहते हैं । इनके बड़े भाई व पूर्व उप-मुख्यमंत्री चंद्रमोहन जरूर सैलजा के साथ प्रदर्शन में दिखे लेकिन वे फिजां के चर्चित मामले के साये में आज भी हैं ।
हरियाणा प्रदेश कांग्रेस नेताओं में ये बढ़ती दूरियां और तक़रार क्या गुल खिलायेंगी आने वाले दिनों में ? कांग्रेस हाईकमान इनकी कमान खींचे और मामले को समय रहते सुलझाये । दिल करने या खामोशी से देखते रहने के दिन बीत गये हैं ।
-*पूर्व उपाध्यक्ष हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।