समाचार विश्लेषण/कांग्रेसजनों में बढ़ रहीं दूरियां
दिल से दिल मिले न मिले हाथ मिलाते रहिए
-*कमलेश भारतीय
कांग्रेसजनों में दूरियां बढ़तीं जा रही हैं दिन प्रतिदिन । खासतौर पर पंजाब व हरियाणा में और राहुल बाबा का एकजुटता का पाठ सुना अनसुना कर दिया गया है । पंजाब में कांग्रेस की बुरी तरह हुई हार के बावजूद गुटबाजी जारी है और सिद्धू लगातर ताली ठोक रहे हैं और पता नहीं कांग्रेस को किस धरातल में ले जाना चाहते हैं । डिनर व लंच डिप्लोमेसी जारी है ताकि अध्यक्ष पद फिर से इन्हें ही सौंपा जाये । कहां तो इस्तीफा देने में देर नहीं लगाते थे और कहां उसी पद को पाने के लिए हाथ पांव मार रहे हैं । रस्सी जल गयी पर बल न गया । अभी और कितना नुकसान करने की ठान रखी है कांग्रेस की ?आखिर पंजाब में कांग्रेस की हार मुख्य जिम्मेदारी तो आपकी ही बनती है सिद्धू पाजी । इससे बचते क्यों फिर रहे हो ? आगे बढ़कर पहले अपनी जिम्मेदारी तो स्वीकार करो । फिर देखा जायेगा कि आपके साथ क्या करती है कांग्रेस हाईकमान । वैसे तो चुनाव के समय लोग यह भी भूल गये कि आप पर बहन ने क्या क्या आरोप लगाये थे ।
इधर हरियाणा में गुटबाजी चरम पर है । विधानसभा में विपक्ष के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष शैलजा के बीच छत्तीस का आंकड़ा चल रहा है । हालांकि एक समय चौ भजन लाल के खिलाफ ये हाईकमान से एकसाथ मिलते थे और उन्हें सत्ता से दूर करने में सफल रहे थे लेकिन भूपेंद्र सिंह हुड्डा के मुख्यमंत्री बनने के बाद धीरे धीरे इनमें दूरियां और महत्त्वाकांक्षाएं बढ़ती गयीं और आज यह हालत हो गयी है कि दिल्ली में हुड्डा बैठक करते हैं विधायकों के साथ तो चंडीगढ़ में शैलजा अपने सिपहसालारों के साथ बैठक करती है । राहुल बाबा अभी कुछ दिन पहले ही एकजुटता का पाठ पढ़ा चुके हैं लेकिन इसे अनसुना किया जा रहा है दोनों तरफ से । कब यह ईर्ष्या , यह एक दूसरे को नीचा दिखाने और अलग अलग राह पर चलने की नीति कांग्रेस में चलती रहेगी ? हालांकि भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने अपनी इन दिनों की इंटरव्यूज में लगातार कहा है कि हरियाणा कांग्रेस की गुटबाजी पर लगाम लगाना जरूरी है फिर भी यह आवाज दूसरी ओर अनसुनी ही रह रही है । कौन पहल करेगा ? कौन कांग्रेस को सन् 2024 के विधानसभा चुनाव से पहले एकजुट करेगा और हाईकमान कब तक मूकदर्शक बना रहेगा ?
हम तो इतना ही कहेंगे
यह नये मिजाज की कांग्रेस है
यहां सोच समझ कर मिला करो
कोई हाथ भी न मिलाएगा
जो गले मिलोगे तपाक से
और यह भी कि
दिल मिले न मिले
हाथ मिलाते रहिए
पर यहां तो कोई दूसरे को देखकर मुस्कुराता भी नहीं ।
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।