भारत की भाषाई और सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने और बढ़ावा देने में भारतीय भाषाओं की अहम भूमिकाः कुलपति प्रो. सुदेश
महाकवि सुब्रमण्यम भारती की जयंती के उपलक्ष्य में भारतीय भाषा उत्सव आयोजित।
खानपुर कलां, गिरीश सैनी। भगत फूल सिंह महिला विवि के कला एवं भाषा संकाय द्वारा यू.जी.सी. के दिशानिर्देशों के अनुसार महाकवि सुब्रमण्यम भारती की जयंती के उपलक्ष्य में “भारतीय भाषा उत्सव” का आयोजन किया गया।
महिला विवि की कुलपति प्रो. सुदेश ने इस कार्यक्रम के लिए शुभकामनाएं देते हुए कहा कि छात्राओं को अपनी जड़ों और भारतीय परंपराओं व सांस्कृतिक मूल्यों से जोड़ने में इस प्रकार के कार्यक्रम अहम भूमिका निभाते हैं। उन्होंने कहा कि भारत की भाषाई और सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने और बढ़ावा देने के लिए भारतीय भाषाओं को शिक्षा के सभी स्तरों में शामिल करना आवश्यक है।
डीन, कला एवं भाषा संकाय प्रो. अशोक वर्मा ने अपने वक्तव्य में “भारतीय भाषा उत्सव” के आयोजन के उद्देश्य एवं उसकी महत्ता से अवगत करवाया। उन्होंने कहा कि भाषा विविधता को मनाने और उसमें एकता की भावना को बढ़ावा देने के लिए यह कार्यक्रम महाकवि सुब्रमण्यम भारती की जयंती के दिन 11 दिसंबर को मनाया जाता है। उन्होंने भाषा की शुचिता बरकरार रखने की जरूरत पर बल दिया।
प्रारंभ में हिंदी, संस्कृत एवं अंग्रेजी विभागाध्यक्षा प्रो. गीता फोगाट ने स्वागत संबोधन किया और इस वर्ष के भारतीय भाषा उत्सव के थीम “भाषाओं के माध्यम से एकता" की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि यह थीम दर्शाता है कि भारत की विविध भाषाई परंपराएं राष्ट्रीय एकता को कैसे प्रोत्साहित करती हैं और एक सामंजस्यपूर्ण समाज का निर्माण करती हैं।
प्रो. रवि भूषण ने अपने संबोधन में महाकवि सुब्रमण्यम भारती के जीवन एवं भाषा विकास में उनके योगदान को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि यह उत्सव छात्राओं को भारतीय भाषाओं की समृद्धता को समझने और एक भाषाई रूप से जागरूक और सांस्कृतिक रूप से समावेशी पीढ़ी के निर्माण में योगदान देने का अवसर प्रदान करता है।
शोधार्थी अनीश ने अंग्रेजी के बढ़ते प्रयोग के चलते युवा पीढ़ी में हिंदी के प्रति घटते रूझान पर चिंता जाहिर की। कार्यक्रम के अंत में डॉ. सुकीर्ति ने धन्यवाद ज्ञापित किया। इस दौरान प्रो. अमृता, डॉ. अजीत सिंह, बबीता एवं डॉ. पल्लवी सहित हिंदी, संस्कृत, अंग्रेजी एवं विदेशी भाषा विभाग के शोधार्थी एवं छात्राएं मौजूद रहे।