सूरत के बाद इंदौर : कैसा दौर?
-*कमलेश भारतीय
जैसा सूरत में कांग्रेस के साथ हुआ, बिल्कुल वैसा ही इंदौर में भी हुआ। सूरत में कांग्रेस प्रत्याशी ने अपना नामांकन वापिस ले लिया था और यही नहीं बसपा व निर्दलीय प्रत्याशियों के नामांकन भी वापिस हो जाने पर भाजपा प्रत्याशी की निर्विरोध जीत हो गयी और इसे 'ऑपरेशन निर्विरोध' के तौर पर प्रचारित करने के साथ साथ भाजपा की लोकप्रियता के रूप में खूब प्रचारित किया गया । अब यही 'ऑपरेशन निर्विरोध' मध्य प्रदेश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर में दोहराने की कोशिश की गयी । यहां भी कांग्रेस प्रत्याशी अक्षय बम ने अपना नामांकन वापिस लेकर एक ऐसा बम फेंका कि कांग्रेस हाईकमान हक्का बक्का ही रह गयी ! यही नहीं नामांकन वापिस लेने के बाद अक्षय बम ने दूसरा बम फेंकते हुए भाजपा ही ज्वाइन कर ली ! यह सबसे बड़ा झटका कहा जा सकता है कांग्रेस के लिए ! यहां भी निर्दलीय प्रत्याशियों के नामांकन वापिस करवा कर 'ऑपरेशन निर्विरोध' चलाने की कोशिश रही भाजपा की, कुल तेइस निर्दलीयों में से नौ प्रत्याशियों ने नामांकन वापिस ले भी लिए लेकिन अभी चौदह प्रत्याशी बच रहे हैं ! आप और सपा ने इंडिया गठबंधन के चलते कांग्रेस के समर्थन में अपने प्रत्याशी ही नहीं उतारे हैं । कांग्रेस या इंडिया गठबंधन का कोई प्रत्याशी मैदान में नहीं बचा । बहुत मज़ेदार टिप्पणी कांग्रेस के जीतू पटवारी ने की है कि अभी तक बूथ केप्चरिंग का सुना था, यहां तो कांग्रेस प्रत्याशी का अपहरण ही कर लिया गया है ! यानी अब प्रत्याशियों का अपहरण होने लगा!
कहते हैं कि अक्षय बम के खिलाफ सत्रह साल पुराने केस की याद दिला कर उन्हें आत्मसमर्पण के लिए भाजपा नेताओं ने तैयार कर लिया । इस तरह कांग्रेस व इंडिया गठबंधन बिना लड़े ही इंदौर लोकसभा क्षेत्र से चुनाव से बाहर हो गये, जैसे मुक्केबाज रिंग से बाहर हो जाते हैं ! अब देखिए बाकी बचे निर्दलीय प्रत्याशियों की विकेट कब आउट होती हैं ! आईपीएल के किसी भी रोमांचक मैच की तरह यह 'ऑपरेशन निर्विरोध' भी बहुत रोमांचक होगा। सासें रोक कर, दिल थाम करकर देखते रहिये और संविधान बचाने का आह्वान करते रहिये, आपके प्रत्याशी ही संविधान की धज्जियां उड़ाने में लगे हैं तो भाजपा को किस बात का दोष देते हो? अपना घर संभाला नहीं जाता और कैसे कैसे प्रत्याशी मैदान में उतारे, जिनका न कोई दीन और न ही ईमान? तौबा! तौबा भाईजान !
यह ऐसा ऑपरेशन निर्विरोध है, जिसके चलते बाद में कोई, किसी प्रकार की परेशानी ही न आये ! क्या नयी सूरत है यह राजनीति की ! कैसा दौर है यह राजनीति का ? पहले सरकारें गिराने के 'ऑपरेशन लोट्स' देखे, अब कांग्रेस प्रत्याशियों को मैदान से बाहर करने का 'ऑपरेशन निर्विरोध' देख रहे हैं ! आगे और कौन कौन से ऑपरेशन देखने को मिलेंगे कह नहीं सकते लेकिन सचमुच संविधान बीमार हो गया है और इसका इलाज बहुत जरूरी है ।
एक फिल्म में कबीर बेदी यह डायलॉग बोलते नज़र आते हैं कि मैं तुमसे दो कदम आगे सोचता हूँ और यही बात सामने आ रही है कि चुनाव लड़ने लड़वाने में या दलबदल करवाने में क्या रखा है, अरे, चुनाव लड़ने लायक ही न छोड़ो ! अब लड़ लो चुनाव ! लड़कर दिखाओ ! अपना घर संभालो पहले! यह घर बहुत कमज़ोर है
इसकी नींव धंस रही है
इसे पूरी तरह गिरा कर
नया घर बनाने की जरूरत है !
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी