समाचार विश्लेषण/फिर आया अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव
-कमलेश भारतीय
अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव आने वाला है और तैयारियों पर मंथन जारी है । अठारह दिन तक चलने वाला यह महोत्सव इस बार नौ दिन यानी आधे दिन ही चलाने पर विचार हो रहा है ।बड़े सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित नहीं किये जायेंगे और शिल्प मेला भी नहीं लगेगा । कुरूक्षेत्र विकास बोर्ड व प्रशासन कोविड का हवाला देते हुए इसे बहुत छोटा रखने पर विचार कर रहा है यानी सिर्फ परंपरा निभाई जायेगी , उत्सव नाम नाम का ही होगा । अभी तक गीता यज्ञ , संत सम्मेलन, दीपदान और ब्रह्म सरोवर के तट पर प्रतिदिन आरती आदि कार्यक्रम ही तय हुए हैं । यह महोत्सव सत्रह दिसम्बर को शुरू होगा और पच्चीस दिसम्बर को संपन्न हो जायेगा । ब्रह्म सरोवर पर लाइट्स का नजारा देखने को नहीं मिलेगा । भव्य संभाल भी शायद ही देखने को मिलें । शिल्प मेला न लगाये जाने से शिल्पियों के चेहरों पर मायूसी आना स्वाभाविक है । इससे उन्हें निराशा हुई है । आर्थिक बोझ और बढ़ेगा । कलाकारों को भी निराशा हुई होगी ।
जहां तक हरियाणा सरकार की बात है तो सिर्फ कुछ वर्ष पूर्व ऐसी शानदार गीता की प्रतियां उपहार मे दी गयीं कि जिनका मोल सुन कर आम आदमी के होश गुम हो गये थे । गीता तो गीता है । भव्य हो या सादा । पढ़ने वाले पढ़ेंगे ही । संदेश भी नहीं बदलेगा । इतनी महंगी और भारी भरकम क्यों बांटी गयी? खूब चर्चा रहा ।
हमारे हिसार के प्रशासन ने भी जनता मार्केट शुरू की । पर हुआ क्या ? पहले ही दिन डीजे लगाकर सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ा दी गयीं । प्रशासन ने तो दुकानदारों का भला चाहा लेकिन डी जे वाले बाबू ने सब बिगाड़ कर रख दिया । ऐसे ही कुरूक्षेत्र में प्रशासन को सतर्क रहना पड़ेगा कि कहीं गीता महोत्सव के नाम पर कुछ और कार्यक्रम आयोजित होने लगें । सरकार को भी संतों और विशिष्ट अतिथियों को महंगी गीता बांटने से संकोच करना होगा नहीं तो विपक्ष तो गीता से महाभारत की सीख लेकर तैयार ही मिलेगा महाभारत करने को ।