महर्षि दयानंद और उनकी विरासत विषयक अंतर्राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी आयोजित
रोहतक, गिरीश सैनी। महर्षि दयानंद सरस्वती की 200 वीं जयंती के उपलक्ष्य में एमडीयू की महर्षि दयानंद सरस्वती चेयर (यूजीसी )और संस्कृत पालि एवं प्राकृत विभाग द्वारा - महर्षि दयानंद और उनकी विरासत विषय पर एक अंतर्राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी का आयोजन किया गया। बतौर मुख्य वक्ता अश्वनी कुमार राजपाल (कनाडा), विद्यासागर वर्मा (कजाकिस्तान में पूर्व भारतीय राजदूत) व राजवीर आर्य (क्षेत्रीय प्रबंधक बैंक ऑफ बड़ौदा, करनाल) ने शिरकत की।
महर्षि दयानंद सरस्वती चेयर के अध्यक्ष प्रो. रवि प्रकाश ने स्वागत भाषण दिया व मंच संचालन किया। उन्होंने महर्षि दयानंद की विरासत के विषय में व्याख्यान प्रस्तुत किया एवं महर्षि दयानंद के समाज सुधार में अतुलनीय योगदान की जानकारी दी। संगोष्ठी के सत्र अध्यक्ष डॉ. श्रीभगवान मेहरा (विभागाध्यक्ष संस्कृत पालि एवं प्राकृत विभाग) ने महर्षि दयानंद सरस्वती के कार्य एवं देशोत्थान पर प्रस्तुत व्याख्यान में बताया कि किस प्रकार स्वामी दयानंद ने वैदिक विचारधारा को पुनः जागृत किया। राजवीर आर्य ने भी वक्तव्य दिया। शोभा राय ने स्वामी दयानंद द्वारा विदेशों में किए गए उत्थान के कार्यों पर विचार रखे।
मुख्य अतिथि विद्यासागर वर्मा ने बताया कि महर्षि दयानंद का स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण योगदान था। उन्होंने स्वामी दयानंद द्वारा किए गए कार्य शिक्षा में योगदान अछूतों के उद्धार में योगदान व सामाजिक सुधार के विषय में व्याख्यान प्रस्तुत किया। प्रो. सुनीता सैनी ने महर्षि दयानंद का शिक्षा संबंधी मंतव्य प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि महर्षि दयानंद ने स्त्री शिक्षा के प्रसार एवं प्रचार का विशेष प्रयास किया व आर्य समाज द्वारा कन्या गुरुकुल खोले गए। डॉ. रवि प्रभात ने आभार व्यक्त किया। डॉ. सुषमा नारा ने कार्यक्रम समन्वयन में सहयोग दिया। इस दौरान डॉ. जितेंद्र कुमार, महावीर आर्य, महेश सहित संस्कृत विभाग के सभी शोधार्थी और विद्यार्थी मौजूद रहे।