दोआबा कॉलेज में भारतीय ज्ञान परंम्परा द्वारा विश्वीकरण को समझने पर अंतराष्ट्रीय सैमीनार आयोजित
जालन्धर, 11 अप्रैल, 2022:दोआबा कॉलेज के पोस्ट ग्रेजूएट पंजाबी विभाग द्वारा भारतीय ज्ञान परंम्परा द्वारा विश्वीकरण को समझने पर अंतराष्ट्रीय सैमीनार का आयोजन किया गया जिसमें डा. सुरजीत पातर- पदमश्री बतौर मुख्य मेहमान, श्री ध्रुव मित्तल-खजानची, कॉलेज मैनेजिंग कमेटी बतौर समारोह अध्यक्ष, प्रो. भीमइंदर सिंह- पंजाबी यूनीवर्सिटी, पटियाला, डा. मनजिंदर सिंह, गुरू नानक देव यूनीवर्सिटी, अमृतसर व नवजोत कौर ढि़ल्लों-कैनेडा बतौर वक्ता, डा. लखविंदर सिंह जौहल- सचिव, जनरल पंजाब आर्टस काऊंसिल, चंडीगढ़ तथा सुरजीत कौर- कैनेडा भी बतौर विशेष मेहमान उपस्थित हुए जिनका हार्दिक अभिनंदन प्रिं. डा. प्रदीप भंडारी, डा. ओमिंदर जोहल-विभागध्यक्ष, प्राध्यापकों, प्रतिभागियों तथा विद्यार्थियों ने किया।
प्रिं. डा. प्रदीप भंडारी ने कहा भारतीय ज्ञान परम्परा की विरासत बहुत सम्पन्न है। इसमें न केवल विश्वीकरण की चुनौतियों का सामना करने की शक्ति है बल्कि समूचे विश्वीकरण को सही दिशा एवं दशा देने की सामर्थय भी है। इसी ज्ञान परंम्परा को आगे बढ़ाने से ही भारत विश्व गुरू बन सकता है।
डा. सुरजीत पातर ने यहां अपने मूल्यवान विचार उपस्थिती तथा विद्यानों के साथ सांझे किए वहां उन्होंने अपने निजी अनुभवों में से बताया कि कविता कैसे पैदा होती है व उसके मूलभूत अधार ढांचे के बारे में भी जानकारी दी। उन्होंने मौके पर अपनी कुछ कविताओं को तरन्नुम में गा कर उनकी सृजन प्रक्रिया के बारे में भी बताया।
प्रो. भीमइंदर सिंह, डा मनजिंदर सिंह, नवजोत कौर ढिल्लों व अन्य शोधक्रतायों ने इस अन्तराष्ट्रीय सैमीनार में विश्वीकरण की चुनौतीयों के बारे में इतहासिक विशलेषण करते हुए उसके वर्तमाण दौर पर पडऩे वाले असर के बारे में अपने विचार प्रकट किए। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति में इतनी ताकत है कि वह इन सभी प्रकार की चुनौतियों का सामना कर इसमें से अपने देश के विचारिक एवं कीमती विरासत को संभाल कर आगे उन्नती का रास्ता अपने जनमानस को दिखा सकते हैं।
डा. ओमिंदर जौहल ने वोट ऑफ थैंकस करते हुए सभी गण्यमानयों का इस अन्तराष्ट्रीय सैमीनार में अपने विचार प्रकट करने का आभार प्रकट किया।