मामन खां : जींद के महाराजा के दरबार से खरक पूनिया गांव तक
राष्ट्रपति पदक विजेता सारंगीवादक की नहीं ले रहा सुध , इलाज को मदद की राह ताक रहे मामन
-कमलेश भारतीय
एक चारपाई पर एक शख्स बैठा है । सामने सारंगी रखी है और हमें देखते ही पास रखी पुरानी पगड़ी सिर पर लपेटने लगता है और हमारे कैमरे के आगे सारंगी वादन शुरू कर देता है । कौन है यह शख्स ? प्रसिद्ध सारंगी वादक मामन खां ! चुपचाप जीवन गुजारते हुए जो देश विदेश में सारंगी वादन की प्रस्तुति दे चुके हैं लेकिन आज अपने इलाज के लिए पैसे न होने से कातरता से हमें ताक रहे हैं कि कहीं इनकी बात पहुंचायें ! कहीं इनकी बात सुनी जाये!
जींद के महाराजा के दरबार में खरक पूनिया के सारंगी वादक मामन खां के पितामह और पिता तक सारंगी वादक रहे और यही नहीं सातवीं पीढ़ी से सारंगी वादन करते आ रहे परिवार के राष्ट्रपति पदक विजेता मामन खां अब 83 साल के हो चुके हैं और खरक पूनिया में अपने छोटे से घर में बैठे इलाज के लिए प्रशासन व सरकार की मदद की राह ताक रहे हैं ।
-कैसे आप सारंगी वादक बने ?
-मुझे सारंगी वादक ही बनना था क्योंकि मेरे पितामह जींद के दरबार में सारंगी वादक रहे और हमारी सात पीढ़ियां उनके दरबार में रहीं । मेरे पिता तो पिता मां भी सारंगी बजा लेती थीं । अब आठवीं पीढ़ी भी सारंगी वादन करती हैं बल्कि अब तो सारा परिवार ही संगीत के साथ जुड़ा है -राजेश भी फर्स्ट आया है तबला वादन में तो परिवार में कोई नगाड़ा बजाता है ! राकेश हिसार के डीएन काॅलेज में कार्यरत है ।
-कितनी उम्र हो गयी आपकी ?
-83 साल का हो गया , बाबू जी !
-पहली बार मंच पर कब सारंगी वादन की प्रस्तुति दी होगी ?
-नारनौंद के निकट मोठ गांव वाले सांगी रामकिशन व्यास के साथ !
-कहां कहां तक पहुंची आपकी सारंगी यात्रा ?
-मुझे हरियाणा लोकसम्पर्क विभाग में नौकरी मिल गयी । कमल तिवारी जी के पास रहा चंडीगढ़ और उनका खूब प्यार मिला । इस तरह मैं नीविया , सीरिया , दुबई, दिल्ली , चंडीगढ़ और मोरक्को तक सारंगी वादन कर पाया ! यहां तक कि धनबाद में भी छह सात साल रहा ।
वे एक संदूक की ओर बढ़ने लगे कि आपको अपने पदक व सम्मानपत्र दिखाऊँ तो हमने मना करते कहा कि आप पर विश्वास है । आप जो बता रहे हैं , आप अंगने भी ज्यादा सम्मानित हैं ।
-कौन से सम्मान मिले ?
-राष्ट्रपति पदक और पच्चीस हजार की राशि । हरियाणा सरकार से ताम्रपत्र और इक्कीस हजार की राशि ! इनके अतिरिक्त भी सम्मान होते रहे ।
-किस किस के साथ सारंगी वादन कर मजा आया ?
-नारनौंद के रामकिशन व्यास और दूसरे चंद्रवादी के साथ !
-क्या आप अनूप लाठर के हरियाणवी आर्केस्ट्रा में भी थे ?
-बिल्कुल । पहली प्रस्तुति टैगोर थियेटर , चंडीगढ़ में दी थी जिसमें मैं भी शामिल था और यह अनूठी देन है हरियाणवी संगीत को अनूप लाठर की !
-किसी फिल्म में भी आपको सारंगी वादन का अवसर मिला ?
-जी । ट्रेन टू पाकिस्तान फिल्म में मेरी ही सारंगी की धुन है !
-कोई फिल्मी धुन सुनाइये ।
वे धुन निकालने लगे -ठाड़े रहियो ओ बांके लाल रे ....
और मैं सोच रहा था कि मामन को इस उम्र में जब सरकार की जरूरत पड़ी तब सरकार उनकी सारंगी की यह डूबती हुई पुकार क्यों नहीं सुन रही ? यह पुकार जिला प्रशासन या सरकार या किसी नेता तक क्यों नहीं पहुंच रही ? क्या मेरी कोशिश सफल होगी ?
हमारी शुभकामनाएं मामन खां को ।