हुसैन जी का पैशन राजनीति और मेरा साहित्य : रेणु हुसैन
-कमलेश भारतीय
भाजपा प्रवक्ता , पूर्व केंद्रीय मंत्री और बिहार के समस्तीपुर के पास के मूल निवासी शाहनवाज हुसैन की धर्मपत्नी रेणु हुसैन कुछ वर्ष पहले हिसार के जाट काॅलेज में आई थीं । उनके काव्य संग्रह पानी प्यार के विमोचन का अवसर था । तभी मेरा इनसे परिचय हुआ जो आज तक जारी है । कल जब इन्हें ईद मुबारक कहा तो मन में इंटरव्यू का विचार आया । आज यह पूरा भी हुआ । इन्होंने यहीं से शुरू किया और बहुत मज़ेदार बात बताई कि कल पहली बार मैंने अपनी फेसबुक पर शाहनवाज जी के साथ फोटो डाल कर ईद मुबारक लिखा तो दिल्ली से मेरी किसी साहित्यिक दोस्त का फोन आया कि रेणु , तुम शाहनवाज जैसे नेता के साथ खड़ी क्या कर रही हो ? मैंने उन्हें जवाब दिया कि भई, ये मेरे पति हैं । इनके साथ खड़ी नहीं होऊंगी तो किसके साथ खड़ी होऊंगी ? बस । वो हंसी छूटी कि पूछो मत । असल में मैं दिल्ली के नेताजी नगर में एक स्कूल टीचर हूं और कभी बताया नहीं किसी को कि मैं किसकी पत्नी हूं । आराम से नौकरी की और घर आ गयी । ऐसा ही मज़ेदार वाक्या हुआ जब दिल्ली के स्कूल टीचरों की कहानी प्रतियोगिता में मेरी कहानी पुरस्कार के लिए चुनी गयी और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया पुरस्कार देने आए । उन्हें भी किसी ने चुपके से कान में बताया कि रेणु शाहनवाज जी की धर्मपत्नी है तो वै हैरान हो गये । खैर ।
-आप मूलतः कहां की रहने वाली हैं ?
-हरियाणा के सोनीपत की । लेकिन मेरे पिता एयर फोर्स में थे इसलिए कितने ही राज्यों के सेंट्रल स्कूल देखे, जहां पढ़ाई हुई । जैसे गुजरात , असम , हैदराबाद , बंगलूर आदि । वैसे स्कूली पढ़ाई दिल्ली के सेंट्रल स्कूल में आकर पूरी हुई । दिल्ली के ही कालिंदी काॅलेज से ग्रेजुएशन और दिल्ली व इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से हिंदी व अंग्रेजी की एम ए व अन्नामलाई से बी एड । पहले पब्लिक स्कूल में और अब पिछले पच्चीस साल से दिल्ली के गवर्नमेंट स्कूल में टीचर ।
-क्या शाहनवाज जी ने टीचिंग छोडने को नहीं कहा ?
-जी नहीं । मुझ पर फैसला छोड़ दिया । वैसे तो हमारी ज़िंदगी बड़ी मध्यवर्गीय ज़िंदगी थी । शाहनवाज दिल्ली पढ़ने आये थे और इंजीनियरिंग की । फिर इंजीनियर की नौकरी कर रहे थे । मैं स्कूल टीचर । मालवीय नगर में दो कमरों के फ्लैट में रहते थे । दो बेटे अरबाज और अदीब हुए । अचानक शाहनवाज जी ने बिहार जन संघर्ष समिति का गठन किया । फिर भाजपा युवा मोर्चा से जुड़े । कांग्रेस और भाजपा दोनों को इनका व्यक्तित्व अच्छा लगा । वक्ता अच्छे और ये भाजपा में गये । फिर किशनगंज से टिकट मिला,यहाँ से सांसद रहे फिर भागलपुर लोकसभा क्षेत्र से भी सांसद बने और छह छह मंत्रालयों का कार्यभार भी मिला।पर मैं टीचर ही रही और ये अपना पैशन पूरा करते आ रहे हैं और मैं साहित्य का।
-मिले कैसे आप लोग ?
-हम उत्तमनगर में रहते थे और शाहनवाज भी हमारे घर के पास पी जी में रह कर पढ़ाई कर रहे थे । बस वहीं परिचय हुआ जो नौ साल तक चली दोस्ती के बाद शादी में बदल गया ।
-कोई एतराज नहीं हुआ?
-थोड़ा तो हुआ लेकिन मेरे पापा ब्राड माइनडिड थे और मेरे ससुराल वालों ने तो दुगुने उत्साह से मेरा स्वागत् किया क्योंकि मेरे ससुराल में ज्यादातर टीचिंग प्रोफैशन में ही थे तो उनको यह था कि एक टीचर और आ गयी । ससुर जी वाइस प्रिंसिपल रिटायर हुए थे और सुपौल में घर लिया था । हमारे घर में भी इन्हें कहते थे कि लड़का अच्छा है । एजुकेशन पूरी है । फिर काहे का एतराज ? मेरा अपना लिटरेचर का माहौल है ।
-आपकी कविताएं सुनते हैं ?
-पहले तो इतना ही जानते थे कि टीचर है और कुछ लिखती है लेकिन जब से लाॅकडाउन में मेरे कुछ लाइव प्रोग्राम आने लगे तब से मेरी कविताएं सुनने लगे और तारीफ भी कर देते हैं ।
-कितने संग्रह आए आपके ?
दो काव्य संग्रह -पानी प्यार और जैसे । एक कहानी संग्रह ‘गुण्टी’भी । अब एक और काव्य संग्रह आने वाला है ।
-कौन कौन लेखक पसंद और कैसे रूचि हुई लेखन में ?
-नौवीं में थी जब मुंशी प्रेमचंद के उपन्यास गोदान , कर्मभूमि, रंगभूमि पर प्रोजेक्ट मिले और पढ़ लिए । महादेवी वर्मा का संस्मरण गिल्लू और फिर तो पढ़ने का चस्का लग गया । निर्मल वर्मा , मोहन राकेश , छायावादी कवि बहुत अच्छे लगते रहे । सर्वेश्वर दयाल सक्सेना भी । यही मेरे प्रेरणा स्त्रोत भी रहे। -मुख्य पुरस्कार?
-उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा सम्मान, किताब किताब साहित्य अकादमी सम्मानित ,दिल्ली सरकार का आपको बताया है और खजुराहो फिल्म फेस्टिवल के सम्मान सहित अनेक सम्मान व पुरस्कार ।
-हिसार आकर कैसा लगा था ?
-बहुत अच्छा । मेरे काव्य संग्रह का विमोचन हुआ । हालांकि बाद में खजुराहो में भी विमोचन हुआ ।
- कुछ अटपटा तो नहीं रहा शादी के बाद ?
-जी नहीं । अटपटा कैसा? नौ साल की दोस्ती और एक दूसरे को समझने के बाद ही तो शादी की । उनका पैशन राजनीति और मेरा लिटरेचर । कोई द्वंद नहीं । टकराव नहीं ।
-बेटे क्या करते हैं ?
-अरबाज बीबीए कर चुके और मुम्बई में जाॅब भी की । अब हमारे पास ही हैं जबकि छोटे अदीब बीबीए के बाद एमबीए करने के इच्छुक हैं । बस । चल रही है ज़िंदगी ग्रेटर कैलाश के घर में ।
हमारी शुभकामनाएं रेणु हुसैन को ।